अमेरिकी एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनस्ट्रेशन (नासा) के प्रमुख जिम ब्रिडेंस्टाइन ने विगत दिनों भारत की स्वदेशी मिसाइल से अपने ही सक्रिय सैटेलाइट को ध्वस्त करने की भारतीय उपलब्धि को 'बेहद भयानक चीज' करार दिया है. उनका कहना है कि ध्वस्त भारतीय सैटेलाइट मलबे के 400 टुकड़ों में बंट गया, जो अब अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन और वहां मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के लिए गंभीर खतरा बन गया है.
बतौर अंतरिक्ष सैन्य शक्ति भारत को वैश्विक मंच पर विशिष्टता के साथ स्थापित करने वाली इस उपलब्धि पर नासा के कर्मचारियों से चर्चा करते हुए जिम ने यह जरूर कहा कि मलबे के सारे टुकड़े इतने बड़े नहीं हैं कि उन पर नजर रखी जा सके. हालांकि उन्होंने कहा, 'हम 10 सेमी लंबे टुकड़ों की बात कर रहे हैं, जिनकी संख्या 60 के लगभग है।'
गौरतलब है कि स्वदेश निर्मित मिसाइल से जिस सक्रिय सैटेलाइट को महज तीन मिनट में ध्वस्त किया गया, वह अपेक्षाकृत 300 किमी के लो ऑर्बिट में स्थित था. यह दूरी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) और अधिकांश सक्रिय सैटेलाइट्स से काफी नीचे है. इसके बावजूद ब्रिंडेस्टाइन का कहना है कि मलबे के 24 टुकड़े ऐसे हैं, जो आईएसएस की स्थिति के लिहाज से उसकी ऊंचाई से अधिक दूरी पर पहुंच गए हैं. वहां से वह कक्षा में चक्कर लगाते हुए आईएसएस के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं. विगत दस दिनों में स्पेस स्टेशन से मलबे के इन टुकड़ों के टकराने का जोखिम 44 फीसदी तक बढ़ गया है.
जिम ब्रिंडेस्टाइन ने मलबों को इन टुकड़ों को 'भयानक खतरा' बताते हुए आगाह किया है कि इससे भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों खासकर मानव अभियानों पर गंभीर असर पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि यह स्थिति स्वीकार नहीं है और नासा इसके प्रभाव को लेकर अपने निष्कर्षों पर बिल्कुल स्पष्ट है.
Source : News Nation Bureau