रूस और यूक्रेन के खिलाफ युद्ध जारी है. इसके मद्देनजर नाटो नेताओं ने यूक्रेन को इस साल में कम से कम 43 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सैन्य सहायता देने का वादा किया है. रूस को नाटो के 32 देश यूक्रेन के लिए खतरा मानते हैं. सैन्य सहायता से यूक्रेन रूस की आक्रमकता का सामना करेगा. वाशिंगटन में नाटो शिखर सम्मेलन के बाद अंतिम विज्ञप्ति में इस फैसले को शामिल किया गया. अमेरिका, नीदरलैंड और डेनमार्क ने घोषणा की कि वे इस गर्मी तक यूक्रेन को पहला नाटो प्रदत्त एफ-16 लड़ाकू विमान देंगे.
अमेरिका ने आगे कहा कि वह 2026 में जर्मनी में लंबी दूरी की मिसाइलें तैनात करेगा. इस कदम का उद्देश्य है कि पूरे यूरोप को साथ मिलकर रूस के आतंक का सामना करना है. जर्मनी को शीत युद्ध के बाद से पहली बार अमेरिका से शक्तिशाली हथियार मिलेंगे. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने नाटो देशों की सराहना की. उन्होंने एक्स पर लिखा कि नए लड़ाकू जेट से स्थाई शांति को बढ़ावा देंगे. इससे संदेश जाएगा कि आतंक को विफल होना चाहिए.
नाटो में शामिल नहीं होगा यूक्रेन
इस बीच, नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने साफ किया कि यूक्रेन तुरंत तो नाटो गठबंधन में शामिल नहीं हो सकता. उन्होंने युद्ध खत्म होने के बाद ही यूक्रेन को नाटो में शामिल किया जा सकता है, जिससे यह सुनिश्चित हो जाए कि मॉस्को भविष्य में कभी भी कीव पर हमला नहीं करेगा. हम युद्ध को लंबा खींचने के लिए यह फैसला नहीं ले रहे हैं. हम चाहते हैं युद्ध जल्दी समाप्त हो.
चीन की आलोचना
शिखर सम्मेलन के दौरान नाटो ने चीन पर आरोप लगाया कि वह युद्ध में रूस की ओर से निर्णायक भूमिका निभा रहा है. नाटो देशों के सदस्यों ने चीन को रूस की आक्रमकता का समर्थक बताया. नाटो सदस्यों का मानना है कि चीन के निर्यात पर बैन के बावजूद रूस की रक्षा उद्योग के लिए चीनी मशीन सहित अन्य चीजें रूस के लिए महत्वपूर्ण हैं. जिससे रूस के सैन्य अभियानों को ताकत मिली है.
भारत के पास युद्ध रुकवाने की क्षमता: अमेरिका
अमेरिका भी अब भारत की ताकत पहचान चुका है. अमेरिका ने मान लिया है कि भारत रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करवाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. अमेरिका ने बुधवार को एक बयान जारी किया. बयान में उन्होंने कहा कि भारत के पास वह क्षमता है कि वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को युद्ध रोकने के लिए मना सकते हैं. व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरीन जीन पियरे ने अपने बयान में कहा कि हमें लगता है कि रूस के साथ भारत के घनिष्ठ संबंध हैं. भारत के पास वह क्षमता है कि वे रूस को युद्ध रोकने के लिए मना सकते हैं. हालांकि, अंतिम फैसला पुतिन का ही होगा. पुतिन ने युद्ध शुरू किया था और अब वही युद्ध को रोकेंगे.
Source : News Nation Bureau