नेपाल को एक बार फिर हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. महीने भर से नेपाल में इसे लेकर प्रदर्शन किए जा रहे हैं. इसके साथ ही नेपाल में राजतंत्र की वापसी की मांग भी लगातार बढ़ती जा रही है. अप्रैल 2006 में नेपाल में राजशाही के खात्मे के साथ ही जारी किए गए अंतरिम संविधान से नेपाल ने हिंदू राष्ट्र होने का दर्जा समाप्त करते हुए खुद को धर्मनिरपेक्ष देश घोषित कर दिया गया था.
राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी (आरपीपी) ने नेपाल में संवैधानिक राजशाही तथा हिंदू राष्ट्र की बहाली के लिए शुक्रवार को काठमांडू में प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए. पार्टी के सैकड़ों समर्थकों ने भृकुटि मंडप से मार्च शुरू कर रत्नापार्क के खुले मैदान में सभा की. दरअसल पिछले दिनों ही केपी शर्मा ओली द्वारा संसद भंग किए जाने की आलोचना भी की.
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शुक्रवार को हुए प्रदर्शन में एक रैली को संबोधित करते हुए आरपीपी के अध्यक्ष कमल थापा तथा पशुपति शमशेर राणा ने नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित करने तथा देश में संवैधानिक राजशाही बहाल करने की मांग की. नेपाल में राजनीतिक दलों का कहना है कि देश में लोकतंत्र की रक्षा तथा राजनीतिक स्थिरता के लिए संवैधानिक राजशाही तथा हिंदू राष्ट्र की बहाली के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
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2018 में ओली और प्रचंड में हुआ था 'गठबंधन'
2018 में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की पार्टी ने मिलकर एकीकृत कम्युनिस्ट पार्टी बनाई थी. कहा जाता है कि दोनों को एक करने में चीन ने बड़ी भूमिका निभाई थी. दो साल बाद अब दोनों अलग हो चुके हैं.
Source : News Nation Bureau