भारत को एक‌ और झटका देने की तैयारी में नेपाल, रोटी-बेटी संबंध तोड़ने पर आमादा

नेपाल में शादी (Marriage) करके जाने वाली भारतीय महिलाओं को अब नेपाल की नागरिकता (Citizenship) प्राप्त करने के लिए 7 वर्षों तक इंतजार करना होगा.

author-image
Nihar Saxena
New Update
Nepal Oli Government

1950 की मैत्री संधि को ही बदलना चाहती है ओली सरकार.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

नेपाल (Nepal) सरकार ने भारत के साथ राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध में तो फासला ला ही दिया है. अब दोनों देशों के बीच होने वाले वैवाहिक और पारिवारिक संबंध को खत्म करने की रणनीति के तहत एक और कदम बढ़ाने का फैसला किया है. इसके तहत नेपाल में शादी (Marriage) करके जाने वाली भारतीय महिलाओं को अब नेपाल की नागरिकता (Citizenship) प्राप्त करने के लिए 7 वर्षों तक इंतजार करना होगा. ऐसे में सात वर्षों तक नेपाल में भारतीय विवाहित महिलाओं को सभी प्रकार के राजनीतिक अधिकार से वंचित रहना होगा.

नागरिकता संशोधन कानून ला रही ओली सरकार
आज सुबह प्रधानमंत्री निवास में हुई नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक में नागरिकता संबंधी संशोधित कानून को संसद से पास कराने का फैसला किया गया है. चूंकि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के पास लगभग दो-तिहाई बहुमत है. ऐसे में संसद से यह कानून आसानी से पास हो जाएगा. यह कानून बनाने के पीछे ओली सरकार की एक ही नीयत है कि नेपाल और भारत के बीच पारिवारिक संबंधों और खून का रिश्ता खत्म करना. भारत से राजनीतिक और कूटनीतिक रिश्ते खत्म करने पर उतारू ओली सरकार अब दोनों देशों के बीच रहे पारिवारिक संबंध को खत्म करने की तरफ बढ़ रही है.

यह भी पढ़ेंः नेपाल को अपने पाले में करने के बाद चीन अब लालच दे रहा बांग्लादेश को

कम्युनिस्ट पार्टी भारत पर फैला रही भ्रम
नेपाल के गृहमंत्री राम बहादुर थापा जैसे जिम्मेवार पद पर बैठे लोग भी यह भ्रम फैलाते हैं कि भारत में विदेशी महिलाओं को 7 साल के बाद नागरिकता दी जाती है और हमारे शादी के तुरन्त बाद देने का प्रावधान है जो असमान है. हालांकि नेपाल के गृहमंत्री को यह नहीं पता है कि 7 साल वाला नियम भारत में नेपाल के अलावा दूसरे देशों के लिए है. नेपाल में यह झूठ कम्युनिस्ट पार्टी के तरफ से वर्षों से फैलाया जा रहा है.

भारतीय लड़कियों पर हो रहे कटाक्ष
सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और पूर्व गृहमंत्री भीम रावल इस पर कटाक्ष करते हुए कहते हैं कि हमारे यहां की लड़कियां जब शादी करके जाती है, तो उनको 7 वर्षों तक इंतजार करना होता है.. इसके उलट जब भारतीय लड़कियां नेपाल में शादी करके आती है, तो उन्हें एक हाथ से मांग में सिंदूर और एक हाथ से नेपाल की नागरिकता दी जाती है. यही नहीं, खुश करने के लिए कभी-कभी मंत्री पद भी दिया जाता है.

यह भी पढ़ेंः अंकिता लोखंडे ने नेमप्लेट से नहीं हटाया सुशांत का नाम, दोस्त बोला- मौत से अंकिता ही बचा सकती थीं

मैत्री संधि की अवहेलना होगा कदम
नेपाल और भारत के बीच जो 1950 की मैत्री संधि हुई है उसके मुताबिक दोनों देश एक-दूसरे के नागरिकों को अपने ही देश के नागरिक के समान व्यवहार और अधिकार देंगे, लेकिन नेपाल सरकार अब इसके उलट नया कानून बनाने जा रही है. इन सात वर्षों के भीतर उसकी पहचान के लिए एक वैवाहिक परिचय पत्र देने की योजना है. संसद की राज्य व्यवस्था समिति की अध्यक्ष और कम्युनिस्ट पार्टी की नेता शशि श्रेष्ठ ने नये कानून के मुताबिक भारत से शादी कर के आने वाली महिला को सामाजिक पहचान के लिए 7 वर्षों के लिए एक वैवाहिक परिचय पत्र दिए जाने का प्रस्ताव किया गया है.

रोटी-बेटी के संबंध तोड़ने की साजिश
नेपाल के कम्युनिस्ट पार्टी की योजना इससे भी खतरनाक है. उसके एक सांसद तथा पार्टी की प्रवक्ता पम्फा भुसाल ने तो संसदीय समिति की बैठक में यहां तक कहा कि नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में जो भी शादियां सरहद पार होती हैं, उन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. पम्फा भुसाल ने कहा कि एक अभियान चलाकर नेपाल के लड़कों और लड़कियों को भारत में शादी नहीं करने के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जा सकता है.

यह भी पढ़ेंः हम गलवान के बहादुरों के बलिदान को कभी व्यर्थ नहीं जाने देंगे: IAF चीफ आरकेएस भदौरिया

सात सालों बाद मिलेगी नेपाली नागरिकता
सात वर्षों बाद भी भारतीय महिलाओं को उसी शर्त पर नेपाल की नागरिकता दी जाएगी, जब वह भारत की नागरिकता त्यागने का प्रमाण पत्र लेकर आएंगी. अगर वह 7 वर्षों बाद भी नेपाल की नागरिकता का प्रमाण पत्र हासिल कर भी लेती है तब भी वह नेपाल के कुछ चुनिंदा पदों पर जाने के लिए योग्य नहीं हो सकती है. नक्शा प्रकरण में राष्ट्रवाद का मुद्दा उठाकर सभी दलों का समर्थन हासिल करने वाली ओली सरकार इस मुद्दे पर भी सभी दलों का समर्थन लेने का प्रयास कर रही है.

चीन के इशारे पर चल रही ओली सरकार
नेपाल में नया संविधान‌ जारी होने के समय ही यहां की कम्युनिस्ट पार्टी ने इसको संविधान में ही लिखने की बात की थी, लेकिन तब मधेशी आंदोलन के चरम पर होने से इसका समावेश नहीं किया गया था. अब इस समय चीन के इशारे पर एक-एक कदम बढ़ाने वाली के पी ओली की सरकार ने इसको पहले बहस का मुद्दा बनाया. नागरिकता विषय को राष्ट्रवाद से जोड़ा और अब संसदीय समिति के जरिए कानून बनाने का ही फैसला कर लिया है.

HIGHLIGHTS

  • भारतीय लड़कियों को शादी के बाद 7 साल तक करना होगा नागरिकता के लिए इंतजार.
  • 1950 की मैत्री संधि को बदलना चाहती है चीनी शह पर चल रही केपी शर्मा ओली सरकार.
  • भारत के खिलाफ लगातार फैलाया जा रहा कम्युनिस्ट सरकार की ओर से झूठ.
PM Narendra Modi nepal china marriage KP Sharma Oli Maitri Treaty Political Rights
Advertisment
Advertisment
Advertisment