चीन की शह पर लगातार भारत विरोधी फैसले लेने वाले नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली अब अपने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने को मजबूर है. ऐसे में चीनी राजदूर हाओ यांकी उनकी मदद को आगे आई हैं और नेपाल के अंदर उन्होंने अभियान शुरू कर दिया है. दरअसल भारत विरोधी फैसले लेने के चलते अब पीएम ओली से इस्तीफा देने की मांग की जा रही है. ऐसे में चीनी राजदूत उन्हें बचाने की हर संभव कोशिश कर रही हैं. चीनी राजदूत के इस कदम से नेपाल की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप माना जा रहा है और कई राजनेता इस पर कड़ी आपत्ति जता रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पिछले एक हफ्ते में हाओ यांकी ने राष्ट्रपति बिद्या भंडारी, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल, झालानाथ खनल से मुलाकात की है. राष्ट्रपति बिद्या भंडारी से चीनी राजदूत की मुलाकात शिष्टाचार मुलाकात के रूप कही गई लेकिन अब यही मुलाकात सवालों के घेरे में आ गई है. नेपाली विदेश मंत्रालय ने भी कहा कि चीनी राजदूत के मामले में राष्ट्रपति राजनयिक आचार संहिता का उल्लंघन कर रही हैं.
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वहीं दूसरी ओर केपी ओली पर निर्णय करने के लिए देश की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी समिति की अहम बैठक 8 जुलाई तकके लिए स्थगित हो गई है. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) के मीडिया सलाहकार सूर्य थापा ने इसकी जानकारी दी है. ऐसे में अब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की निरंकुश कार्यशैली और उनके भारत-विरोधी बयानों को लेकर आपसी मतभेद दूर करने के लिए और समय मिल गया है.
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इससे पहले नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी 45 सदस्यीय स्थायी समिति की अहम बैठक पहले शनिवार को होने वाली थी, लेकिन अंतिम समय में यह सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई थी. इसी तरह आज होने वाली स्थायी समिति की अहम बैठक को अंतिम समय में ही 8 जुलाई तक टाल दिया गया है.
उधर, रविवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड के बीच सत्ता की साझेदारी को लेकर अहम बातचीत हुई, जो बेनतीजा रही. सूत्रों ने बताया कि रविवार को मुलाकात के दौरान दोनों नेता अपने-अपने रुख पर अड़े रहे, जिससे उनके बीच कोई समझौता नहीं हो पाया. हालांकि दोनों नेताओं ने अपने मतभेदों को दूर करने के लिए आज फिर मिलने का फैसला किया.
गौरतलब है कि माधव नेपाली और झालानाथ खनल समेत वरिष्ठ नेताओं के समर्थन वाला प्रचंड धड़ा मांग कर रहा है कि ओली पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री दोनों पदों से इस्तीफा दें. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक अगर ओली असंतुष्ट खेमे के साथ समझौता नहीं करेंगे तो सत्तारूढ़ दल में दो फाड़ हो जाएगा. पार्टी में ओली अलग-थलग पड़ गए हैं, क्योंकि अधिकतर वरिष्ठ नेता प्रचंड के साथ हैं. 45 सदस्यीय स्थायी समिति के भी केवल 15 सदस्य ओली के साथ हैं.