नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली नेपाल के प्रधानमंत्री बन गए हैं. 21 जुलाई को संसद में ओली को विश्वास मत हासिल करना है. सोमवार को उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. बता दें, ओली को चीन समर्थक नेता माना जाता है. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल- यूनीफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट के मुख्य सचेतक महेश बरतौला का कहना है कि प्रधानमंत्री ओली रविवार को ससंद में विश्वासमत का सामना करेंगे. बता दें, पुष्प कुमार दहल से समर्थन लेने के बाद ओली प्रधानमंत्री बने हैं. दहल विश्वासमत में बहुमत साबित नहीं कर पाए थे. उम्मीद है कि ओली आसानी से बहुमत हासिल कर लेंगे. 275 सदस्यीय संसद में बहुमत के लिए 138 सीटें आवश्यक है.
भारत विरोधी नीति से नहीं हो सकता भारत का विकास
ओली की पार्टी के वरिष्ठ नेता राजन भट्टाराई ने एक दिन पहले कहा था कि सीपीएन-यूमीएल इस बात को नहीं मानती कि भारत विरोधी नीतियों के साथ नेपाल प्रगति कर पाएगा. या फिर भारत विरोधी नीतियों के साथ नेपाल के लोगों के हितों को बढ़ावा मिल सकता है. ओली आज की मांग को देखते हुए नेपाल-भारत के रिश्तों को नई ऊंचाई देना चाहते हैं. हमें लगता है कि भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने से अधिक विदेशी निवेश को नेपाल की ओर आकर्षित कर सकते हैं. हम अपनी धरती पर भारत विरोधी गतिविधियों को अनुमति नहीं दे सकते हैं.
जानें नेपाली संसद में किसके पास कितनी सीट
नेपाल में 20 नवंबर 2022 को आम चुनाव हुए थे. आम चुनावों में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाया था. हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर के सामने आई. देउबा की पार्टी को 89 सीटें मिलीं, ओली शर्मा की पार्टी को 78 और प्रचंड की पार्टी को 32. सबसे कम सीटें जीतकर भी प्रचंड 25 दिसंबर 2022 को नेपाल के प्रधानमंत्री बने. उन्होंने देउबा की पार्टी के साथ गठबंधन किया था. हालांकि, गठबंधन सरकार अधिक वक्त तक टिक नहीं पाई. 15 माह बाद मार्च 2024 को फूट के कारण गठबंधन टूट गया. प्रचंड ने फिर ओली के भरोसे सरकार बनाई, जो अब गिर चुकी है.
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Source : News Nation Bureau