अयोध्या पर विवादित बयान देने वाले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली (PM KP Oli) अपने बेतुके दावे को सिद्ध करने के लिए एक कदम और आगे बढ़ गए हैं. भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या नेपाल के बीरगंज जिले के थोरी गांव में होने के बेतुके दावे के बाद अब नेपाल के पुरातत्व विभाग ने अपने देश के दक्षिण में स्थित थोरी गांव को असली अयोध्या साबित करने के लिए खुदाई और शोध की तैयारी कर ली है. अपने ही देश में राम और अयोध्या पर आलोचना के सामना करने वाले ओली के इस कदम को डैमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा रहा है.
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विभिन्न मंत्रालयों के साथ चर्चा शुरू
केपी ओली के बयान के बाद अयोध्या को लेकर नेपाल सरकार नए शोध की तैयारी कर रही है. 'माय रिपब्लिका' अखबार के मुताबिक, ओली की टिप्पणी के बाद नेपाल के पुरातत्व विभाग (डीओए) ने क्षेत्र में संभावित पुरातत्विक अध्ययन के लिए विभिन्न मंत्रालयों के साथ चर्चा शुरू कर दी है. बीरगंज के थोरी में पुरातात्विक अध्ययन शुरू करवाने की संभावना को लेकर विभाग विभिन्न मंत्रालयों के साथ चर्चा कर रहा है.
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बातचीत में नहीं निकला हल
ओली और प्रचंड के बीच गुरुवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल की मौजूदगी में बातचीत हुई. माधव कुमार नेपाल भी दोनों के बीच मतभेदों को कम करने में सफल नहीं हुए. नेपाल की मीडिया के मुताबिक तीनों नेताओं ने सभी विवादित मुद्दों पर चर्चा की. अब बताया जा रहा है कि फैसले को सेंट्रल कमेटी के ऊपर छोड़ा जा सकता है. सेंट्रल कमिटी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है जिसके 45 सदस्य हैं. गौरतलब है कि पिछले कुछ हफ्तों में कम से कम आठ दौर की वार्ता होने के बाद भी सत्ता साझेदारी पर पहुंचने में ओली और प्रचंड नाकाम रहे हैं. शुक्रवार को होने वाली स्थायी समिति की बैठक में 68 वर्षीय प्रधानमंत्री के राजनीतिक भविष्य पर निर्णय होने की संभावना है.
Source : News Nation Bureau