नई दिल्ली स्थित प्रगति मैदान में 10 से 18 फरवरी, 2024 तक साहित्य के महाकुंभ यानि विश्व पुस्तक मेला का आयोजन किया गया. राष्ट्रीय राजधानी में प्रत्येक वर्ष विश्व पुस्तक मेले का आयोजन किया जाता है और हर साल इसकी अलग- अलग थीम होती है. इस बार मेले की थीम 'बहुभाषी भारत एक जीवंत परंपरा' रखा गया था. जिसके माध्यम से इस बार भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और भाषाई विविधता को दिखाया गया. चलिए इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं.
भारत और सऊदी अरब...
9 दिनों तक चला नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला कई मायनों में खास रहा. एक ओर जहां साहित्यकारों, शिक्षाविदों और पुस्तक प्रेमियों की संख्या में भारी बढ़ोतरी देखी गई तो वहीं भारत के प्रकाशन उद्योग ने भी नई ऊँचाइयों को छूआ. साथ ही साथ यह मेला खाड़ी देशों के साथ भारत के लगातार मजबूत होते रिश्तों की कहानी भी बयां करता है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस बार पुस्तक मेला का अतिथि देश सऊदी अरब था. सऊदी अरब और भारत की सांस्कृतिक संबंध सदियों पुराना है और बदलते समय के साथ इसने नये आयाम भी स्थापित किए हैं.
मोदी सरकार की कूटनीतिक जीत!
एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार भारत और खाड़ी देशों के बीच कमजोर पड़ रहे संबंधों को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं तो वहीं विश्व पुस्तक मेला में भी इसकी एक झलक देखने को मिली. कतर में सजा-ए-मौत पाए 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों की सजा का माफ होना और अफसरों की सकुशल वतन वापसी नरेन्द्र मोदी सरकार की कूटनीतिक जीत को दर्शाता है.
इन देशों के साथ भारत के रिश्ते और भी मजबूत
तो वहीं संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी में बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था के भव्य हिंदू मंदिर का पीएम मोदी के हाथों उद्घाटन, इजरायल के साथ खुलकर दोस्ती और साथ में खाड़ी देशों के साथ कमाल की ट्यूनिंग...केंद्र सरकार की कामयाब विदेश नीति और वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती साख और धाक वानगी भर है. इन सब के बाद अगर हम यह कहें कि खाड़ी देशों के साथ भारत के रिश्ते पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गया है तो यह गलत न होगा.
वैश्विक मंच पर भारत की साख हो रही मजबूत
वैसे तो भारत भाषाओं से समृद्ध देश है. यहां भाषाओं की कोई सीमा नहीं है. भारतीय भाषाओं से पूरे विश्व को ज्ञान मिलता है और इसमें साहित्य की अहम भूमिका है. इसकी एक झलक हमें विश्व पुस्तक मेला 2024 में भी देखने को मिली. इस मेले की धूम पूरे विश्व में रही. यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस,स्पेन, इटली, रूस, यूनाइटेड अरब अमीरात, नेपाल, श्रीलंका सहित कई देशों ने मेला में हिस्सा लिया. इससे निश्चित तौर पर भारत की वैश्विक मंच पर साख और अधिक मजबूत होगी.
हॉल संख्या 4 में प्रवेश करते ही लोग अचंभित
पश्चिम मध्य एशिया का प्रमुख देश सऊदी अरब नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2024 का अतिथि देश रहा. 9 दिनों तक आयोजित हुए इस मेले में दोनों देशों के बीच जमकर साहित्यिक सांस्कृतिक आदान-प्रदान हुआ. इस बार मेले में आने वाले बच्चे, युवा और बुजुर्ग जैसे ही हॉल संख्या 4 के मुख्य द्वार में प्रवेश करते वो अचंभित हो जाते.
और हो भी क्यों नहीं...क्योंकि मुख्य द्वार के सामने ही एक बड़ा स्टॉल लगा हुआ था. जिसकी दीवारें सऊदी अरब की साहित्यों से सराबोर थी. दीवारों को सऊदी के इतिहास, मक्का मदीना, वहां की संस्कृति, अरब की पांडुलिपियां, सऊदी के खजूर, पुरालेक और हस्तशिल्प से जुड़े विषयों से जुड़ी पुस्तकों से सजाया गया था.
'आधुनिक युग में भी संस्कृति से जुड़ाव आवश्यक'
मेले में उपस्थित सऊदी प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख डॉ. अब्दुल लतीफ अल-वसील ने बताया कि सऊदी अरब और भारत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान विभिन्न क्षेत्रों तक फैला हुआ है. यह दोनों देशों के बीच गहरे संबंधों को दर्शाता है. उन्होंने यह भी बताया कि इसके जरिए यह दिखाने की कोशिश थी कि आधुनिक युग में भी संस्कृति से जुड़ाव होना कितना आवश्यक है.
9 दिनों तक बना रहा आकर्षण का केंद्र
बहरहाल, नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2024 में अतिथि देश सऊदी अरब के स्टॉल ने वहां आने वाले सभी लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया और वे वहां की संस्कृति के बारे में जानने के लिए ललायित दिखे. कुल मिलाकर सऊदी अरब का स्टॉल पूरे 9 दिनों तक आगंतुकों के लिए एक आकर्षण केंद्र बना रहा. साथ ही साथ इस मेले के जरिए भारत और सऊदी अरब के बीच सांस्कृतिक संबंधों की एक नई गाथा लिखी गई.
Source : News Nation Bureau