नेपाल (Nepal) की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी इस समय गहरे संकट के दौर से गुजर रही है. पार्टी के नेता पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड और नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अपनी-अपनी बात पर अड़े हैं. पुष्पा कमल दहल (प्रचंड) और नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) के बीच एक बार फिर हुई बैठक बेनतीजा रही है. दोनों ही नेताओं की जिद के आगे बैठक में किसी भी मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बन सकी. हालांकि दोनों ने आगे बातचीत को जारी रखने का फैसला किया है.
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कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी समिति की महत्वपूर्ण बैठक टलने से पार्टी के शीर्ष नेताओं के पास आपस में बातचीत का काफी समय है. लिहाजा आज फिर प्रचंड ने पीएम केपी ओली से मुलाकात की. ओली ने सहमति नहीं तक स्टैंडिंग कमेटी की मीटिंग स्थगित करने को कहा. इसी दौरान प्रचंड ने भी ओली से इस्तीफे देने की मांग की है. प्रचंड का कहना है कि अगर पार्टी बचाना है तो कोई एक पद त्याग करना ही होगा, लेकिन ओली ने इस समय कोई भी पद छोड़ने से साफ इनकार कर दिया.
प्रचंड के द्वारा इस्तीफा मांगे जाने के जवाब में प्रधानमंत्री केपी ओली ने अपने मंत्रिमंडल फेरबदल करते हुए आपसी सहमती में सभी नेताओं की सिफारिश को मानने, प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को बदलने, राजनैतिक और संवैधानिक नियुक्तिओं में सभी नेताओं को समान अवसर देने का प्रस्ताव दिया है. लेकिन फिलहाल किसी भी पद से इस्तीफा नहीं देने की अपनी बात स्पष्ट कर दी है.
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उधर, इस्तीफा देने के लिए अपनी ही पार्टी के नेताओं के दबाव का सामना कर रहे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का भविष्य तय करने के लिए सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी समिति की महत्वपूर्ण बैठक बुधवार तक स्थगित कर दी गई है. आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा की गयी है. प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार सूर्य थापा ने बताया कि बैठक बुधवार तक के लिये टल गयी है.इस बैठक के स्थगित होने के करणों के बारे में अभी पता नहीं चल पाया है.
पहले ही दो बार स्थगित हो चुकी स्थायी समिति की सोमवार को होने वाली बैठक में 68 वर्षीय प्रधानमंत्री के राजनीतिक भविष्य के बारे में फैसला होने की उम्मीद थी. शनिवार को भी 45 सदस्यों वाली स्थायी समिति की अहम बैठक को सोमवार तक के लिए टाल दी गई थी, ताकि ओली के काम करने के तौर-तरीकों और भारत विरोधी बयानों को लेकर मतभेदों को दूर करने के लिये शीर्ष नेतृत्व को और वक्त मिल सके.
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