संयुक्त राष्ट्र. भारत (India) ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) से कहा कि आतंकवादी या आतंकवादी संगठन (Terrorist & Terrorist Organization) पर पाबंदी लगाए जाने की राह में अड़ंगा लगाने की प्रवृत्ति बंद होनी चाहिए. भारत ने परोक्ष रूप से चीन (China) का हवाला दिया, जिसने जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-E-Mohammad) के प्रमुख मसूद अजहर (Masood Azhar) को वैश्विक आतंकवादी (Global Terrorists) घोषित कराने के भारत के प्रयासों को बार-बार बाधित करने की कोशिश की थी.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, हमें इस लड़ाई में दोहरा मापदंड नहीं अपनाना चाहिए. आतंकवादी आतंकवादी हैं. अच्छे या बुरे आतंकवादी नहीं होते. जो ऐसा मानते हैं उनका अपना एजेंडा है और जो उन्हें छिपाने का काम करते हैं वह भी दोषी हैं. उन्होंने कहा, हमें आतंकवाद रोधी और पाबंदी से निपटने के लिए समितियों के कामकाज में सुधार करना होगा. पारदर्शिता, जवाबदेही और कदम उठाया जाना समय की मांग है. बिना किसी कारण के सूचीबद्ध करने के अनुरोध पर रोक लगाने की प्रवृत्ति बंद होनी चाहिए. यह हमारी सामूहिक एकजुटता की साख को ही कम करता है.
भारत ने की थी कड़ी मशक्कत
जयशंकर प्रस्ताव 1373 (2001) को अंगीकृत किए जाने के बाद 20 साल में आतंकवाद से लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और आंतकवादी कृत्यों के कारण अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा विषय पर यूएनएससी की मंत्री स्तरीय बैठक को संबोधित कर रहे थे. इस महीने 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में भारत के अस्थायी सदस्य के तौर पर दो साल के कार्यकाल की शुरुआत के बाद से मंत्री ने इसे पहली बार संबोधित किया. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पांच सदस्य स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य हैं.
अजहर मसूद को वैश्विक आतंकी साबित करने में भारत को लगे 10 साल
पाकिस्तान में रह रहे आतंकवादी अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करवाने के लिए भारत को करीब 10 साल तक मशक्कत करनी पड़ी. पाकिस्तान के सदाबहार सहयोगी चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति के तहत अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रयासों में बार-बार अडंगा डाला. अंतत: मई 2019 में भारत को तब बड़ी कूटनीतिक कामयाबी मिली जब चीन द्वारा प्रस्ताव पर रोक हटाए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने अजहर के खिलाफ पाबंदी लगा दी.
दाऊद को लेकर भारत का पाक पर निशाना
विदेश मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद को उचित ठहराने और उसका महिमामंडन करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए. उन्होंने संभवत: पाकिस्तान में छिपे दाउद इब्राहिम का परोक्ष तौर पर हवाला देते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा कि 1993 के मुंबई बम विस्फोटों के लिए जिम्मेदार आपराधिक गिरोहों को केवल सरकार का संरक्षण ही नहीं मिल रहा बल्कि वे पांच सितारा आतिथ्य का आनंद उठा रहे हैं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने डिजिटल तरीके से बैठक को संबोधित करते हुए कहा, सबसे पहले हमें आतंकवाद के खिलाफ मुकाबले के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखानी होगी. इस लड़ाई में किंतु-परंतु नहीं होना चाहिए.
Source : News Nation Bureau