20 साल बाद तालिबान (Taliban) ने अफगानिस्तान में वापसी की है. 8 सितंबर को तालिबान ने अफगानिस्तान में अतंरिम सरकार बना दी. सरकार बनते ही तालिबान का तानाशाही रवैया सामने आने लगा है. अफगानिस्तान में विरोध-प्रदर्शन पर रोक लग गई है. किसी भी तरह का विरोध-प्रदर्शन करने पर सरकार की परमिशन लेनी होगी. प्रदर्शन का डिटेल संबंधित मंत्रालय को देना होगा. इसके साथ ही तानाशाही फरमान में कहा गया है कि विरोध प्रदर्शन करने के लिए उसका विवरण आयोजन के 24 घंटे पहले सुरक्षा एजेंसियों के साथ साझा करना होगा.
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो गृह मंत्रालय ने विरोध प्रदर्शन को लेकर नए नियम बनाए हैं. सरकार बनने के एक दिन बाद ही गृह मंत्रालय ने लोगों की आजादी पर प्रतिबंध लगाने का फैसला कर दिया. अब विरोध प्रदर्शन करने पर इसकी जानकारी 24 घंटे पहले देनी पड़ेगी. तालिबान पहले भी कह चुका है कि वो अपने शासन में किसी भी तरह का विरोध-प्रदर्शन बर्दाश्त नहीं करेगा.
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किसी भी तरह का विरोध-प्रदर्शन करने से पहले इसका उद्देश्य, इसमें लगने वाले नारे, स्थान, समय समेत कई जानकारियों को सरकार से साझा करना होगा. मंजूरी मिलने के बाद ही विरोध-प्रदर्शन किया जा सकता है.
बता दें कि अफगानी नागरिक तालिबान और पाकिस्तान के खिलाफ इन दिनों सड़कों पर उतर आए हैं. हाल ही में काबुल में हजारों प्रदर्शनकारी तालिबान के खिलाफ सड़क पर उतरे. इस दौरान तालिबान का क्रूर चेहरा भी नजर आया. प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए तालिबानी लड़ाकों ने उनपर फायरिंग की.
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बुधवार को लोगों ने काबुल के दशते बारची इलाके में विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी सरकार में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने की मांग कर रहे थे. लेकिन महिलाओं की मांग को पूरा नहीं किया गया. तालिबान के अंतरिम सरकार में किसी भी महिला को कोई पद नहीं दिया गया है. तालिबान ने साफ कर दिया है कि भले ही वो खुद के चरित्र में बदलाव की बात करता है. लेकिन हकीकत इससे कोसो दूर है.
HIGHLIGHTS
- अफगानिस्तान में बनी तालिबान की सरकार
- सरकार बनते ही तानाशाही चेहरा आया सामने
- विरोध -प्रदर्शन करने से पहले कई शर्तों को पूरा करना होगा
Source : News Nation Bureau