नॉर्थ कोरिया के हाइड्रोजन बम परीक्षण की खबरों ने एक बाद फिर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। संयुक्त राष्ट्र की ओर से लगातार मिल रही चेतावनियों के बाद भी उत्तर कोरिया अपने मिसाइल परीक्षणों पर लगाम नहीं लगा रहा है।
इस परीक्षण के बाद अमेरिका सहित कई बड़े देशों की टेढ़ी नजर उत्तर कोरिया पर पड़ गई है। आईए, जानते हैं कि हाइड्रोजन बम क्या है और यह दूसरे परमाणु बम से कितना खतरनाक है।
दरअसल, हाइड्रोजन बम, परमाणु बम से कई गुना ज्यादा शक्तिशाली और घातक होता है। जहां परमाणु बम में नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission) का इस्तेमाल होता है। वहीं, हाइड्रोजन बम में नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) को इस्तेमाल में लाया जाता है।
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इन दोनों ही प्रक्रियाओं में भारी मात्रा में उर्जा निकलती है और इसी उर्जा का इस्तेमाल बम के तौर पर तबाही मचाने के लिए होता है।
क्या है नाभिकीय विखंडन
इस दौरान एक परमाणु दो भागों में टूटता है। इस रिएक्शन को ही परमाणु बम में इस्तेमाल किया जाता है।
नाभिकीय संलयन क्या है हाइड्रोजन बम क्यों होता है एटम बम से ज्यादा खतरनाक
इस दौरान दो परमाणु आपस में जुड़ते हैं। इससे भी भारी मात्रा में उर्जा निकलती है और Fission के मुकाबले Fusion में बेहद ज्यादा होती है।
अमेरिका ने वर्ल्ड वार-2 में जापान पर परमाणु बम का इस्तेमाल किया था। वह एटम बम था यानि उसमें नाभिकीय विखंडन (Fission) वाली तकनीक थी।
हालांकि, इसके उलट हाइड्रोजन कहीं ज्यादा खतरनाक और विनाशकारी है। इसकी वजह ये है कि इसमें विखंडन और संलयन दोनों काम किए जाते हैं। इसका मतलब ये हुआ इसके दो चरण होते हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार सूरज पर यही प्रक्रिया लगातार काम करती रहती है और उसकी ताम हमें यहां तक महसूस होती है।
न्यूक्लियर फ्यूजन को शुरू करने के लिए बहुत ज्यादा तापमान की जरूरत होती है। ऐसे में पहले वहां विखंडन यानि Nuclear Fission कराते हैं और उससे जो तापमान पैदा होता है उससे नाभिकीय संलयन (Fusion) होता है।
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यही कारण है कि दो चरणों वाला ये रिएक्शन हाइड्रोजन बम को इतना शक्तिशाली बना देता है।
किन देशों के पास है हाइड्रोजन बम
हाइड्रोजन बमों को बनाने की क्षमता फिलहाल अमेरिका, रूस, फ्रांस, इंग्लैंड और चीन के पास है।
अमेरिका ने ही दुनिया के पहले हाइड्रोजन बम का परीक्षण एक नवंबर 1952 में किया था। वहीं दूसरा परीक्षण रूस ने साल 1953 में किया था।
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Source : News Nation Bureau