अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद भी उसे पंजशीर इलाके में चुनौती मिल रही है. तालिबान पंजशीर पर अपने कब्जे का दावा कर रहा तो लेकिन नॉर्दर्न एलायंस की ओर से भी दावा किया जा रहा है कि आधे से ज्यादा हिस्से में अभी भी उसी का कब्जा है. नॉर्दर्न एलायंस का यह भी दावा है कि अहमद मसूद और अमरुल्ला सालेह इस वक्त अफगानिस्तान में ही हैं. पिछले कुछ दिनों से कहा जा रहा था कि अहमद मसूद इस वक्त ताजिकिस्तान में हैं लेकिन अब इस पर सफाई दी गई है.
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तालिबान को बॉर्डर पार से मिल रहा समर्थन
एक टीवी इंटरव्यू में अली नज़ारी ने साफ दिया कि पंजशीर पर अभी तालिबान (Taliban) का कब्जा नहीं है, 60 फीसदी पंजशीर इस वक्त हमारे पास ही है. तालिबान ने शेर की गुफा में कदम रखा है, उसे इसकी कीमत चुकानी ही होगी. NRF के प्रवक्ता ने साफ किया कि तालिबान को बॉर्डर के पार (पाकिस्तान) से भी समर्थन मिल रहा है. अफगानिस्तान के मसले पर दुनिया के रुख को लेकर अली नज़ारी ने कहा कि दुनिआ ने जिस तरह अफगानिस्तान में जारी मानवीय संकट पर अपनी आंखें बंद की हैं, वह बहुत ही निराशाजनक है.
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पिछले दिनों तालिबान ने दावा किया था कि उसने पंजशीर पर कब्जा कर लिया है. उसने कुछ तस्वीरें भी जारी की थी. पंजशीर की जंग में पाकिस्तान के दखल और तालिबान का साथ देने से अफगानिस्तान के लोगों में काफी गुस्सा है और वो लगातार पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी गो-बैक पाकिस्तान और आजादी-आजादी के नारे लगा रहे हैं. इन प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हो रही हैं. वैसे तो अफगानिस्तान के अलग-अलग शहरों में महिलाएं पिछले कई दिनों से अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन कर रही हैं, लेकिन काबुल में पहली बार रात में प्रदर्शन हुए हैं.