चीन ने भारत में कम्युनिस्ट विचारधारा को फैलाने के लिए शी जिनपिंग के किताब को हिंदी में प्रकाशित किया है. जिनपिंग की यह किताब मध्य एशियाई देशों की कई अन्य भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है. इस किताब में चीन में शासन को लेकर उनके सिद्धांत पर प्रकाश डाला गया है. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के अनुसार शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) ने एक समारोह में 'शी जिनपिंग: द गवर्नेंस ऑफ चाइना' का पहला खंड हिंदी, पश्तो, दारी, सिंहली और उज़्बेक भाषाओं में जारी किया गया. यह पुस्तक पिछले कुछ वर्षों में मंदारिन के अलावा अंग्रेजी तथा कई भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है.
जिनपिंग को माओ के बराबर की पदवी
साल 2012 में सत्ता में आने के बाद से 68 वर्षीय शी सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के संस्थापक माओत्से तुंग की तर्ज पर पार्टी के प्रमुख नेता के रूप में उभरे हैं. उन्होंने नए युग में चीनी विशेषताओं के साथ समाजवाद नामक एक नए वैचारिक रुख का समर्थन किया है. पिछले सप्ताह सीपीसी के सम्मेलन के दौरान सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करने वाले शी को अगले साल तीसरी बार राष्ट्रपति चुने जाने की उम्मीद है.
यह भी पढ़ेंः Kulbhushan Jadhav Case: भारत ने कहा ICJ के फैसला का पालन करे पाक
चीन के इतिहास को बदलने की कवायद
न्यूजीलैंड में स्थित चीन के इतिहासकार गेरेमी आर बर्मे ने कहा कि यह बैठक कम्युनिस्ट पार्टी और शी जिनपिंग के इर्द-गिर्द चीन के लिए एक नया टाइमस्केप बनाने के बारे में है. पार्टी अतीत के विकास को लेकर भविष्य में उनके लिए और जनाधार बढ़ाना चाहती है. यह वास्तव में पिछले इतिहास के बारे में एक संकल्प नहीं है, बल्कि भविष्य के नेतृत्व के बारे में एक संकल्प है.
यह भी पढ़ेंः IND vs NZ T20 Series : दूसरे मैच में जीत के लिए टीम इंडिया ने बनाई ये रणनीति
जिनपिंग को चीन में व्यापक जनसमर्थन
68 साल के शी जिनपिंग इस दशक में चीन के सबसे बड़े नेता बनकर उभरे हैं. उन्होंने देश में फैले भ्रष्टाचार और गरीबी के खिलाफ निर्णायक काम भी किया है. चीन की ताकत को दुनिया के सामने पेश करने के लिए शी जिनपिंग को व्यापक जनसमर्थन भी मिला है. इसके बावजूद पार्टी में उनके खिलाफ काम करने वाले नेता कोरोना वायरस महामारी और अमेरिका के साथ तनावपूर्ण संबंधों को लेकर जिनपिंग पर निशाना साध सकते हैं.
HIGHLIGHTS
- चीन में शासन को लेकर जिनपिंग के सिद्धांतों पर जोर
- किताब दुनिया की कई भाषाओं में हो चुकी है प्रकाशित
- अगले साल तीसरी बार राष्ट्रपति चुने जाने की उम्मीद