पाकिस्तान (Pakistan) के ऊपर यह कहावत इन दिनों बिल्कुल सटीक बैठती है कि रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गया. इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान ने सार्क (SAARC) देशों के शीर्ष व्यापार अधिकारियों की बैठक में हिस्सा नहीं लिया. वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये होने वाली यह बैठक कोविड-19 (COVID-19) महामारी के अंतर-क्षेत्रीय व्यापार पर होने वाले प्रभाव से निपटने को लेकर थी. बैठक में शामिल होने से इंकार करने के लिए पाकिस्तान ने तर्क दिया कि ऐसी बैठकें तभी प्रभावी हो सकती हैं जब इनका नेतृत्व भारत के बजाए समूह का सचिवालय कर रहा हो.
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बैठक में शामिल नहीं होने का बेतुका तर्क
पाकिस्तान ने बुधवार को दक्षेस देशों के व्यापार अधिकारियों की बैठक का बहिष्कार किया और कहा कि ऐसी बैठकें तभी प्रभावी हो सकती हैं जब इनका नेतृत्व भारत के बजाए समूह का सचिवालय कर रहा हो. यह बैठक क्षेत्र में कोरोना वायरस के प्रभाव पर चर्चा करने और इस बात पर विचार विमर्श के लिए थी कि किस प्रकार यह समूह इस संकट से निपटने के लिए एक साझा रणनीति तैयार कर सकता है. बैठक होने के कुछ ही देर बाद पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा कि आज की व्यापार अधिकारियों की वीडियो कांफ्रेंस जैसी गतिविधियां केवल तभी प्रभावी हो सकती हैं जब इनका नेतृत्व समूह का सचिवालय कर रहा हो. चूंकि दक्षेस सचिवालय वीडियो कांफ्रेंस का हिस्सा नहीं है. ऐसे में पाकिस्तान ने इसमें हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया.
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पाकिस्तान छोड़ सभी सार्क देश एक साथ
हालांकि बैठक हुई और भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया, 'पाकिस्तान को छोड़कर सभी सार्क देशों ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये बैठक में हिस्सा लिया.' मंत्रालय ने बताया कि बैठक के दौरान उपस्थित देशों के प्रतिनिधियों ने मौजूदा परिस्थितियों में साझा हितों और समस्या सुलझाने पर बात की. मंत्रालय ने कहा, 'बैठक में यह महसूस किया गया है कि कोविड-19 महामारी का सार्क क्षेत्र में व्यापाक असर होगा. स्थिति से निपटने के लिए सदस्य देशों ने साथ मिलकर नए रास्ते तलाशने पर जोर दिया.'
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बदहाल पर ट्रेड बैठक से दूर
कोरोना वायरस ने पाकिस्तान की कमर तोड़ दी है जो पहले ही आईएमएफ के कर्ज से चल रहा है. उसके पास कोरोना से लड़ने के लिए संसाधन मौजूद नहीं हैं जिस वजह से कभी वर्ल्ड बैंक तो कभी एशियाई बैंक मदद को आगे आया. अमेरिका और चीन जैसे मित्र देश भी उसे आर्थिक मदद दे चुके हैं और मेडिकल सप्लाई के जरिये भी मदद पहुंचा रहे हैं. वह कोरोना से लड़ने वाले सार्क फंड पर भी सवाल उठा चुका है ताकि वह इससे बच सके. उसने इस फंड के उद्देश्यों और इस्तेमाल को लेकर सफाई मांगी थी.
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राष्ट्राध्यक्षों की बैठक में भेजा था मंत्री
गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों की वीडियो कांफ्रेंस के जरिये बैठक बुलाई थी जिसमें पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान ने अपने मंत्री को भेज दिया था. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रियों की भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये बैठक कराई गई थी जिसमें पाक अधिकारी शामिल हुए थे.
HIGHLIGHTS
- पाकिस्तान ने सार्क देशों के शीर्ष व्यापार अधिकारियों की बैठक में हिस्सा नहीं लिया.
- कहा- ऐसी बैठकें तभी प्रभावी हो सकती हैं जब नेतृत्व समूह का सचिवालय कर रहा हो.
- इसके पहले सार्क राष्ट्राध्यक्षों की बैठक में इमरान खान ने भेजा था अपना मंत्री.