चीन में अब कपल तीन बच्चे पैदा कर सकेंगे. सरकार इसके लिए नया कानून लेकर आई है. चीन की राष्ट्रीय विधायिका ने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा लाई गई तीन बच्चों की नीति का शुक्रवार को औपचारिक रूप से समर्थन किया. यह नीति सबसे अधिक आबादी वाले देश में तेजी से कम होती जन्म दर को रोकने के मकसद से लाई गई है. संशोधित जनसंख्या और परिवार नियोजन कानून, जो चीनी जोड़ों को तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति देता है नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) की स्थायी समिति द्वारा पारित किया गया था.
नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) की स्थायी समिति ने संशोधित जनसंख्या एवं परिवार नियोजन कानून को पारित कर दिया जिसमें चीनी दंपत्तियों को तीन बच्चे तक पैदा करने की अनुमति दी गई है. चीन में बढ़ती महंगाई के कारण दंपति कम बच्चे पैदा कर रहे हैं और इन चिंताओं से निपटने के लिए कानून में अधिक सामाजिक और आर्थिक सहयोग के उपाय भी किए गए हैं. सरकारी समाचार पत्र 'चाइना डेली के अनुसार, नए कानून में बच्चों के पालन-पोषण और उनकी शिक्षा का खर्च कम करने के साथ ही परिवार का बोझ कम करने के लिए वित्त, कर, बीमा, शिक्षा, आवासीय और रोजगार संबंधी सहयोगात्मक कदम उठाए जाएंगे.
यह भी पढ़ेंः अफगानिस्तान छोड़ने की तैयारी 6 महीने पहले शुरू कर दी थी मोदी सरकार ने
दरअसल, चीन दुनिया के उन चुनिंदा देशों में से एक है जहां जन्म दर सबसे कम है. वर्तमान समय में चीन के सामने सबसे बड़ी चुनौती काम करने वालों की लगातार कम होती आबादी है. इस कारण वहां के युवाओं पर काफ़ी दवाब है. उन पर अपने माता-पिता के साथ-साथ अपने दादा-दादी और नाना-नानी का भी बोझ है. एक आकलन के अनुसार, अगले पांच साल में चीन की एक चौथाई आबादी की उम्र 65 साल से अधिक होगी, मतलब काम करने वालों की कमी और ग़रीबी की समस्या. इस कारण तीन बच्चों की नीति पर फैसला चीन ने काफी सोच-समझकर लिया है.
यह भी पढ़ेंः सोमनाथ मंदिर को कई बार गिराया गया, ये उतनी ही बार उठ खड़ा हुआ: पीएम मोदी
सरकारी चाइना डेली की रिपोर्ट के अनुसार, नया कानून कहता है कि देश परिवारों के बोझ को कम करने के लिए वित्त, कर, बीमा, शिक्षा, आवास और रोजगार सहित सहायक उपाय करेगा. इस साल मई मे सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) ने सभी जोड़ों को तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति देने के लिए अपनी सख्त दो-बच्चों की नीति में ढील दी थी. चीन ने 2016 में दशकों पुरानी एक-बाल नीति को खत्म करते हुए सभी जोड़ों को दो बच्चे पैदा करने की अनुमति दी. नीति निर्माताओं ने इसे देश में जनसांख्यिकीय संकट के लिए दोषी ठहराया था.