इस्लामी आतंकवाद शब्द के इस्तेमाल को लेकर दिये अपने बयान का अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बचाव किया है। उनका कहना है कि यह एक ‘बेवजह गढ़ा’ गया शब्द है, और इसका कोई धार्मिक आधार नहीं है।
ओबामा ने कहा, “सच तो ये है कि, ये एक ऐसा मुद्दा है जिसे गढ़ा गया है, क्योंकि इसमें कोई शक नहीं है कि आतंकी संगठन अल कायदा और आईएसआईएस जैसे संगठनों ने लोगों की हत्या कर इस्लाम को दूषित करने का काम किया है।”
उन्होंने कहा "ये लोग हैं, जो बच्चों को मारते है, मुसलमानों को मारते है, लोगो को सेक्स गुलाम बनाते हैं। कोई धार्मिक तर्क इस तरह के कार्य को जायज़ नहीं ठहराएगा।
ओबामा ने कहा कि वो इस बात का ध्यान रखेंगे कि ये कत्ल करने वाले लोगों को उन अरबों मुसलमानों को बदनाम नहीं करने देंगे जो सैनिकों, पुलिस अधिकारियों शिक्षकों के रूप में पूरी दुनिया में हैं।
ओबामा ने कहा, ‘मैंने अमेरिका और विदेश में स्थित इनमें से कुछ मुस्लिम परिवारों से बात करके यह पाया है कि जब आप इन संगठनों को ‘इस्लामी आतंकवादी’ कहना शुरू कर देते हैं, तो विश्वभर में हमारे मित्र एवं सहयोगी को जो संदेश जाता है उससे ऐसा लगता है कि इस्लाम धर्म ही अपनेआप में आतंकवाद को प्रश्रय देता है।’
ओबामा ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘इससे उन्हें ऐसा लगता है कि जैसे उन पर हमला बोला जा रहा है। ऐसी स्थिति में कुछ मामलों में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उनका सहयोग पाना हमारे लिए बेहद मुश्किल हो जाता है।’
उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि ये लोग (आतंकवादी) सोचते हैं और दावा करते हैं कि वे इस्लाम के लिए बोल रहे है लेकिन वे जो करते हैं, मैं उसे सही नहीं ठहराना चाहता।’
ओबामा ने कहा कि राष्ट्रपति बनने के ‘इच्छुक’ कुछ लोगों को भी इस प्रकार की भाषा के इस्तेमाल से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि आव्रजन के लिए धार्मिक परीक्षा एक ‘स्लिपरी स्लोप’ (ऐसी खराब स्थिति जो बाद में और खराब हो जाएगी) है।
Source : News Nation Bureau