जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में भारतीय मुसलमानों की कथित दुर्दशा पर आंसू बहाने वाले पाकिस्तान (Pakistan) और उसके धार्मिक गुरु तुर्की को भारत की मोदी सरकार (Modi Govenrment) ने बहुत घेर कर मारा है. इसका सबब बनी है फ्रांस (France) में आयोजित वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की बैठक. इस बैठक में आतंकवाद को वित्त पोषण और अन्य मदद के मसले पर एफएटीएफ ने पाकिस्तान को तो ग्रे लिस्ट में रखा ही है, बल्कि उसके हमदम और गहरे दोस्त तुर्की (Turkey) को भी प्रतिबंध से जकड़ दिया है. तुर्की पर भी आतंक के वित्त पोषण समेत फर्जी कंपनियां बनाकर आतंकवाद को पोषण देने का आरोप है. पाकिस्तान तो खैर पहले से ही ग्रे-लिस्ट में है. अब दोनों देशों की अगले साल अप्रैल में होने वाली एफएटीएफ की बैठक में फिर से समीक्षा की जाएगी. पाकिस्तान के लिए ग्रे-लिस्ट में बने रहना उसके आर्थिक अस्तित्व पर सवालिया निशान खड़े कर रहा है. कंगाल पाकिस्तान के पास इस वक्त सरकार चलाने लायक पैसे नहीं है. यह अलग बात है कि वह भारत के अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर पर जहर उगलने से बाज नहीं आ रहा, जिसे तुर्की का भी समर्थन मिला हुआ था.
मोदी सरकार ने पहले ही तैयार कर ली थी बिसात
एफएटीएफ की बैठक से पहले भारत की मोदी सरकार ने पाकिस्तान संग तुर्की को घेरने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया था. सरकार के सूत्रों को मुताबिक भारत के पास सबूत हैं कि तुर्की पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत विरोधी भावनाओं को भड़का रहा है. खासकर जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्यों में पाकिस्तान और तुर्की मिल कर अलगाववादी ताकतों को संरक्षण दे रहे हैं. भारत ने पहले ही वैश्विक समुदाय को चेता दिया था कि एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट यह साबित कर देगी कि पाकिस्तान-तुर्की अवैध गतिविधियों में शामिल होकर विश्व को अव्यवस्थित करना चाहते हैं. गौरतलब है कि तुर्की में वर्तमान राष्ट्रपति एर्दोगान के शासन काल में विदेशी निवेश रसातल में पहुंच चुका है.
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एफएटीएफ ने पाकिस्तान का साथ देने पर तुर्की को भी लपेटा
गौरतलब है कि फ्रांस में हुई बैठक में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा है. साथ ही पाकिस्तान के दोस्त और धार्मिक गुरू तुर्की को भी ग्रे लिस्ट में शामिल कर लिया है. पाकिस्तान ने एफएटीएफ की 34 सूत्रीय एजेंडे में से 4 पर अब तक कोई काम नहीं किया है. सबसे पहले पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में डाला गया था. इसके बाद अक्टूबर 2018, 2019, 2020 और अप्रैल 2021 में हुए रिव्यू में भी पाक को राहत नहीं मिली. पाक एफएटीएफ की सिफारिशों पर काम करने में विफल साबित हुआ और इस दौरान पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को विदेशों से और घरेलू स्तर पर आर्थिक मदद लगातार मिलती रही.
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अब विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना मुश्किल
तुर्की के एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में आने से उसकी आर्थिक स्थिति का और बेड़ा गर्क होना निश्चित हो गया है. तुर्की को पाकिस्तान की तरह से अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना मुश्किल हो जाएगा. पहले से ही कंगाली के हाल में जी रहे तुर्की की हालत इस तरह और खराब हो जाएगी. दूसरे देशों से भी तुर्की को आर्थिक मदद मिलना बंद हो सकता है. इसकी वजह यह है कि कोई भी देश आर्थिक रूप से अस्थिर देश में निवेश करना समझदारी नहीं मानता है. इस वक्त तुर्की समेत पाकिस्तान के साथ 22 देश एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल हैं. अन्य देशों में सूडान, यमन, अल्बानिया, मोरक्को, सीरिया आदि शामिल हैं.
HIGHLIGHTS
- जम्मू-कश्मीर पर नापाक पाकिस्तान का साथ दे रहा था तुर्की
- अब ग्रे-लिस्ट में आने से नहीं मिल सकेगी आर्थिक मदद
- मोदी सरकार की वैश्विक कूटनीतिक मंच पर एक बड़ी जीत