One in 3 schoolchildren lacks access to drinking water : संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि दुनिया के गरीब देशों में पढ़ने वाले एक तिहाई बच्चों को स्वच्छ पेयजल नहीं मिल पा रहा है, जिसकी वजह से वो तमाम बीमारियों के ग्रसित हो रहे हैं. इससे उनके स्वास्थ्य के साथ ही सीखने की क्षमता पर भी गंभीर असर पड़ रहा है. यूएन की एजेंसी यूनेस्को ( UNESCO ) ने इस बारे में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें साफ-साफ लिखा है कि वैश्विक स्तर पर हर तीन में से एक स्कूल में साफ-सफाई के बेसिक इंतजाम तक नहीं है. न ही टॉयलेट हैं और न ही बेसिक सीवेज सिस्टम. इसकी वजह से बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पढ़ रहा है.
पेयजल, साबुन, सफाई की समस्या
यूनेस्को ने अपनी रिपोर्ट में आगे लिखा है कि दुनिया के आधे स्कूलों में साफ-सफाई की व्यवस्था नहीं है. मतलब पानी और साबुन तक उपलब्ध नहीं होते हैं. इसके अलावा साफ पेयजल भी नहीं है. इन वजहों से बच्चों में मच्छर जनित बीमारों के अलावा डायरियां जैसी समस्याएं सामने आती हैं. एक वैश्विक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए शीर्ष अधिकारी ने बताया कि स्कूलों में साफ पानी में खाना तक नहीं बनता है. इसके अलावा वो साबुन जैसी बेसिक चीजों की कमीं के चलते बच्चियों को संक्रमण से जूझना पड़ता है. यही वजह है कि बच्चियों की संख्या स्कूल में कम होती जा रही है.
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इन देशों में है बुरा हाल
एक उदाहरण देते हुए बताया गया है कि भारत के पड़ोसी देश भूटान में हर चार में से एक लड़की माहवारी के समय स्कूल नहीं जाती. वहीं आईवरी कोस्ट जैसे देश में 5 में से एक बच्ची ऐसा करती है, तो बुर्किया फासो में 7 में से एक बच्ची स्कूल जाने से बचती है. यूनेस्को ने अपनी रिपोर्ट में सलाह दी है कि सरकारों को स्कूलों का इंफ्रा सुधारने के लिए और भी निवेश करने की जरूरत है. क्योंकि अगर हमारे बच्चे ही स्वस्थ नहीं रहेंगे, तो आने वाली पीढ़ी कैसे स्वस्थ रहेगी
HIGHLIGHTS
- दुनिया के बड़े हिस्से में स्वच्छ पेयजल की किल्लत
- स्कूलों में जाने वाले एक तिहाई बच्चे परेशान
- साफ पानी न मिलने के चलते हो रही काफी बीमारियां