भारत को मदद की पेशकश करने वाला पाकिस्तान ही अब ऑक्सीजन का भारी किल्लत से जूझ रहा है. हालात इस कदर बिगड़ रहे हैं कि कई अस्पतालों में गंभीर बीमारी के मरीजों की भी सर्जरी को टाला जा रहा है. इस्लामाबाद के सरकारी अस्पतालों में पहले से तय की गई सर्जरी भी टाली जा रही हैं. यह कदम कोरोना मरीजों को निर्बाध ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए उठाए जा रहे हैं. देश में कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर किसी भी अनचाही स्थिति से बचने के लिए सीडीए अस्पताल, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रिहैबिलिटेशन मेडिसिन, गवर्नमेंट सर्विस हॉस्पिटल, पाकिस्तान इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और पॉलीक्लिनिक में पहले से निर्धारित की गई सर्जरी अभी टाल दी गई हैं.
20 लाख पाकिस्तानी आवाम को लगी वैक्सीन
पाकिस्तानी मंत्री ने देश में जारी कोरोनावायरस वैक्सीनेशन (Coronavirus Vaccination) को लेकर भी बात की. उन्होंने कहा कि अभी तक 20 लाख पाकिस्तानी नागरिकों को वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है. पाकिस्तान में लोगों के बीच वैक्सीन (Vaccine) के प्रभावी होने को लेकर डर है, ऐसे में चौधरी ने लोगों से गुजारिश की कि उन्हें वैक्सीन के दुष्प्रभाव को लेकर डरने की जरूरत नहीं है. दुनियाभर में एक अरब से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लग चुकी है.
यह भी पढ़ेंः 'मई के पहले हफ्ते से शांत होने लग जाएगा कोरोना, जून में मिलेगी राहत'
17 हजार से ज्यादा लोगों की हुई कोरोना से मौत
बता दें कि पाकिस्तान में अब तक कोरोनावायरस के आठ लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. वहीं, 17,329 लोगों ने संक्रमण के चलते पड़ोसी मुल्क में दम तोड़ा है. गौरतलब है कि पाकिस्तान में संक्रमण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में इमरान खान ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि सभी कोरोना से बचाव के लिए जारी एसओपी (मानक परिचालन प्रक्रिया) का पालन करें. उन्होंने लोगों से कहा कि अगर वह बचाव के उपाय नहीं अपाएंगे, तो पाकिस्तान की स्थिति भी भारत जैसी हो सकती है.
यह भी पढ़ेंः असम सहित पूर्वोत्तर में भूकंप का तगड़ा झटका, रिक्टर स्केल पर 6.4 मापी गई तीव्रता
पाकिस्तान में नहीं लागू होगा लॉकडाउन
इमरान ने कहा, अगर पाकिस्तान के हालत भारत के जैसी हो गए, तो हमें शहरों में लॉकडाउन लागू करना पड़ेगा. हम ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि जैसा कि अनुभव से पता चलता है, लॉकडाउन लगने से सबसे अधिक परेशानी गरीबों को झेलनी पड़ती है. उन्होंने कहा, लोग मुझसे लॉकडाउन लागू करने के लिए कह रहे हैं. लेकिन हम ऐसा करने नहीं जा रहे हैं और मैं एक बार फिर दोहरा रहा हूं, इससे दिहाड़ी मजदूरी करने वालों को सबसे ज्यादा संघर्ष का सामना करना पड़ता है. इसलिए हमें कुछ करने की जरूरत है.