देश कोई भी हो जेल का मतलब होता है दीन-दुनिया के ऐश-ओ-आराम से परे किए गए अपराधों का कड़े अनुशासन में प्रायश्चित करना. यह अलग बात है कि पाकिस्तान (Pakistan) की जेल इस सिद्धांत से कोसों दूर हैं. यही वजह है कि संयुक्त राष्ट्र (United Nations) द्वारा हाल ही में वैश्विक आतंकी घोषित अब्दुल रहमान मक्की लाहौर (Lahore) की कोट लखपत राय जेल में बंद होते हुए भी अपना एक वीडियो शूट कर उसे जारी करता है. इस वीडियो में मक्की आतंकी संगठन अल-कायदा से अपने संबंधों को सिरे से खारिज कर खुद को बेकसूर बताता है. वीडिया में मक्की (Abdul Rehman Makki) भारत सरकार को निशाना बनाते हुए कहता है, 'मेरा मानना है कि मेरी लिस्टिंग का आधार भारत सरकार की विधर्मी नीतियों और गलत सूचना पर आधारित है. मैं ओसामा बिन लादेन (Osama Bin Laden), अयमान अल-जवाहिरी या अब्दुल्ला आजम से कभी नहीं मिला, जैसा कि कुछ रिपोर्टों में आरोप लगाया गया है.' इसके साथ ही मक्की अल-कायदा (Al Qaeda) के विचारों और कार्यों की भी निंदा कर कहता है कि यह उसके विश्वास के बिल्कुल विपरीत है.
मक्की ने कहा उचित प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ
जेल से जारी वीडियो में मक्की कहता दिख रहा है, 'मैं इस तरह के समूहों द्वारा किए गए सभी प्रकार के आतंकवाद और हिंसा की निंदा करता हूं. मैं कश्मीर को लेकर पाकिस्तानी सरकार की केंद्रीय नीति में विश्वास करता हूं.' यही नहीं, यूएनएससी के फैसले पर खेद जताते हुए मक्की कहता है, 'इन लिस्टिंग के संबंध में न तो कोई उचित प्रक्रिया का पालन किया गया और न ही कोई जानकारी दी गई.' गौरतलब है कि पाकिस्तान से पल्लवित-पोषित आतंकियों को वैश्विक आतंकियों के रूप में सूचीबद्ध करने के भारत के प्रयासों को मिली सफलता के रूप में मक्की को अंततः वैश्विक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध किया गया. इस बार चीन भी मक्की को बचाने अपने वीटो पॉवर के रूप में आगे नहीं आया. सूत्रों के अनुसार भारत ने 2021-22 के दौरान अपने संयुक्त राष्ट्र कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों की सूची बनाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी थी. इस कड़ी में बीते साल संयुक्त राष्ट्र के 1267 के नियम के तहत भारत ने कुल पांच नाम वैश्विक आतंकी बतौर प्रस्तुत किए थे. ये अब्दुल रहमान मक्की (एलईटी), अब्दुल रऊफ असगर (जैश-ए-मोहम्मद, जेईएम), साजिद मीर (एलईटी), शाहिद महमूद (एलईटी), और तलहा सईद (एलईटी) के रूप में थे.
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भारत ने मक्की पर चीन की आलोचना की
भारत द्वारा पेश किए पांच आतंकियों के नामों को शुरुआत से ही संयुक्त राष्ट्र के एक स्थायी सदस्य देश ने तकनीकी रोक पर रखा था, जबकि परिषद के अन्य सभी 14 सदस्य इन आतंकियों की लिस्टिंग पर सहमत थे. मक्की का मामला 1 जून 2022 को भारत द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जिसमें अमेरिका एक सह-नामित देश के रूप में शामिल था. सूत्रों के अनुसार एक सदस्य देश ने 16 जून 2022 को तकनीकी आधार पर मक्की को वैश्विक आतंकी घोषित करने की प्रक्रिया में रोक लगा दी. छह महीने की अवधि के बाद दिसंबर के मध्य में फिर से इस पर विचार होना था. ऐसे में भारत के पक्ष में यह फैसला उसके संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता छोड़ने के ठीक बाद आया है, जो वास्तव में अन्य सदस्य देशों के साथ लंबे समय से चले आ रहे सतत् प्रयासों की परिणति रही. इससे पहले मंगलवार को चीन ने सुरक्षा परिषद में 1267 संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति के तहत वैश्विक आतंकवादी के रूप में मक्की के नाम पर अपनी तकनीकी रोक हटा ली. इसके पहले चीन ने बीते साल लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के नेता को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की भारत की कोशिश पर तकनीकी रोक लगाई थी. इस कड़ी में जून 2022 में भारत ने यूएनएससी 1267 समिति के तहत आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को सूचीबद्ध करने के प्रस्ताव को अवरुद्ध करने के लिए चीन की कड़ी आलोचना की थी.
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भारत-अमेरिका पहले ही कर चुके थे बतौर आतंकी सूचीबद्ध
भारत और अमेरिका पहले ही मक्की को अपने-अपने घरेलू कानूनों के तहत आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध कर चुके हैं. मक्की भारत खासकर जम्मू-कश्मीर के युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और फिर उन्हें आतंकी समूहों में भर्ती करने के लिए धन जुटाने और साजिश रचने में शामिल रहा है. मक्की ने आतंकी संगठन लश्कर के में अलग-अलग भूमिकाएं निभाई हैं, जिसे अमेरिका ने विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध कर रखा है. इसके अलावा मक्की लश्कर के संचालन के लिए धन जुटाने में भी भूमिका निभाता रहा है. अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार 2020 में एक पाकिस्तानी आतंकवाद-रोधी अदालत ने आतंकवाद के वित्तपोषण के एक मामले में मक्की को दोषी ठहरा उसे जेल की सजा सुनाई थी.
HIGHLIGHTS
- लाहौर की जेल में बंद वैश्विक आतंकी मक्की ने जारी किया वीडियो
- खुद को बेगुनाह करार दे अल-कायदा के आतंक की आलोचना की
- भारत की गलत नीतियों और भ्रामक तथ्यों पर लिस्टिंग का आरोप