पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी गतिविधियों को लेकर अब अंतरराष्ट्रीय मंच के अलावा उनके देश के अंदर से भी आवाज़ उठने लगी है।
सोमवार को पाकिस्तान अख़बार के संपादकीय में इस बात का ज़िक्र करते हुए कहा गया है कि सरकार को कट्टरपंथी संगठनों के प्रति सहानुभूति से बचना चाहिए।
सरकार अगर ऐसा नहीं करती है तो आने वाले दिनों में पाकिस्तान की सरजमी से आंतक नए रूप में पैदा होगा और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से ऊंगली उठाने वालों की संख्या बढ़ जाएगी।
पाकिस्तानी अख़बार एक्सप्रेस ट्रिब्युन ने आगे लिखा, 'दो विरोधी मूल्यों को धारण करने या कट्टरपंथी गुटों के लिए गोलमोल रवैया अपनाने से पाकिस्तान में आंतक को बढ़ावा मिल रहा है। कई बार आतंकी घटना को लेकर पाकिस्तान की सहानुभूति लोगों के सामने आ जाती है जिसकी वजह से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) को हमपर निशाना साधने का मौक़ा मिल जाता है और दुनिया इस ख़बर को चटकारे लेकर पढ़ती है। दरअसल पाकिस्तान लोगों को ऐसा करने का मौक़ा देती है।'
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा पाकिस्तान के कई आतंकी संगठनो को ग्लोबल ख़तरा बताये जाने को लेकर अख़बार ने लिखा, 'हालांकि कई लिस्टेड आतंकियों की गिरफ़्तारी हुई है लेकिन ज़्यादातर अब भी आज़ाद घूम रहे हैं। जैसे-जैसे समय बीत रहा है वैसे-वैसे आतंकी और कट्टरपंथी संगठन नए लोगों की भर्ती कर लेतें हैं। इस वजह से यहां हमेशा ही आतंकी गतिविधियां फलती-फूलती रहती है और यही दिक्कत है। संभवत: कई लोगों या संगठनों का फिलहाल आतंकी सूची में नाम नहीं हो लेकिन आगे होगा। और यहीं पर पाकिस्तान की बुनियाद में कमी नज़र आती है।'
हाल ही में UNSC द्वारा जारी 139 लोगों और उनसे जुड़ी संस्थाओं को आतंकी करार देने को लेकर अख़बार ने लिखा, 'लिस्टेड लोगों में से कुछ लोगों या संस्थाओं को लेकर भले ही पाकिस्तान को आपत्ति हो लेकिन अधिकतम केस में तथ्य भी बताते हैं कि आतंकी गतिविधियों में इज़ाफ़ा हुआ है।'
अख़बार ने पाकिस्तान सरकार को सलाह देते हुए लिखा, 'इस तरह की लिस्ट तब तक छोटी नहीं होती जब तक कि लंबे समय तक आतंकी गतिविधियों को रोकने की दिशा में ईमानदार प्रयास न किया गया हो। आने वाले समय में इसी तरह की लिस्ट को हथिार बनाकर बहस होगी और कहा जाएगा कि पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों को रोकने में असफल रहा।'
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Source : News Nation Bureau