पाकिस्तान सरकार पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों से दबाव में है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो चला है. आयात बिल भरने के लिए पैसे नहीं है. विदेशी कर्जों को चुकता करना है. पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ने की वजह से जनता भी गुस्से में है. देश चुनाव के मुहाने पर खड़ा है, ऐसे में पाकिस्तान की सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने का रिस्क भी नहीं ले सकती है. इन सब को देखते हुए पाकिस्तान सरकार ने अपने केंद्रीय बैंक से सुझाव मांगा था कि पेट्रोल-डीजल के संकट से कैसे निपटा जाए. पाकिस्तान के स्टेट बैंक ने सरकार को सुझाव दिया है कि वो सप्ताह में दो दिन लॉक डाउन लगाने का फैसला कर सकती है. इससे सालाना 2.15 अरब रुपये की बचत हो सकती है, जो पाकिस्तान जैसे देश के लिए बहुत बड़ी रकम है.
लॉकडाउन के पीछे का क्या है गणित?
पाकिस्तान में आम काज के 6 दिनों में पेट्रोल-डीजल की साप्ताहिक खपत का 90 फीसदी हिस्सा खप जाता है. ऐसे में स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने सरकार को सलाह दी है कि वो 4 दिन लोगों से काम कराए. दो दिन पूरी तरह से लॉक डाउन लगाए और एक दिन स्वैच्छिक अवकाश करे. ऐसे में महीने के 8-12 दिन काम काज के नहीं होंगे, तो पेट्रोल-डीजल की खपत एक तिहाई तक कम हो जाएगी. इसकी वजह से सरकार का आयात बिल भी कम होगा. ये योजना पाकिस्तान के लिए संजीवनी की तरह हो सकती है.
ये भी पढ़ें: स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया बोले-WHO ने कोरोना की मौतों पर आधिकारिक डेटा का उपयोग नहीं किया
पाकिस्तानी बैंक ने सुझाए दूसरे भी प्रस्ताव
पाकिस्तानी बैंक ने जो दूसरा प्रस्ताव तैयार किया है, उसके तहत चार कार्य दिवस, दो छुट्टियां और एक दिन के लॉकडाउन (व्यावसायिक गतिविधियां दो दिनों तक बंद रहेंगी) की बात शामिल है. इससे लगभग 17.5 करोड़ डॉलर प्रति माह बचत होगी, जो प्रति वर्ष 2.1 अरब डॉलर तक हो सकता है. तीसरा विकल्प यह है कि चार कार्य दिवस, एक अवकाश और दो दिन का लॉकडाउन रहे. इससे 23 करोड़ डॉलर या लगभग 2.7 अरब डॉलर की बचत हो जाएगी. हालांकि इस फैसले को बहुत कठोर माना जा रहा है क्योंकि यह जनता के विश्वास को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है.
HIGHLIGHTS
- पेट्रोल-डीजल की कीमतों से पाकिस्तान सरकार परेशान
- पेट्रोल-डीजल की खपत कम करने के लिए लॉकडाउन का प्रस्ताव
- कामकाजी दिनों में पेट्रोल-डीजल की खपत अधिक