कुलभूषण जाधव (Kulbhushan Jadhav) की मौत की सजा के मामले की सुनवाई कर रही पाकिस्तानी की एक शीर्ष अदालत ने भारत से मामले में कानूनी कार्यवाही में सहयोग करने के लिए कहा है. साथ ही उसने कहा कि अदालत में पेश होने का मतलब संप्रभुत्ता में छूट नहीं है. इस्लामाबाद उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार को पाकिस्तान (Pakistan) के कानून एवं न्याय मंत्रालय की याचिका पर सुनवाई शुरू की जिसमें जाधव के लिए वकील नियुक्त करने की मांग की गई है. मामले की सुनवाई को 15 जून तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. गौरतलब है कि भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव (51) को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवादी के आरोपों पर अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी.
भारत पर लगाया अदालती प्रक्रिया में शामिल नहीं होने का आरोप
डॉन में प्रकाशित खबर के मुताबिक, अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान ने पीठ को बताया कि अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) के फैसले का पालन करने के लिए पाकिस्तान ने पिछले साल सीजे (समीक्षा एवं पुनर्विचार) अध्यादेश 2020 लागू किया ताकि जाधव वैधानिक उपाय पा सकें. उन्होंने कहा कि भारत सरकार जानबूझ कर अदालत की सुनवाई में शामिल नहीं हुई और पाकिस्तान की एक अदालत के समक्ष मुकदमे पर आपत्ति जता रही है तथा उसने आईएचसी की सुनवाई के लिए वकील नियुक्त करने से भी इनकार करते हुए कहा कि यह 'संप्रभु अधिकारों का आत्मसमर्पण करने के समान है.' सुनवाई कर रही बेंच में तीन सदस्य शामिल हैं. इसमें चीफ जस्टिस अतहर मिनाला के अलावा जस्टिस आमेर फारुख और जस्टिस मियांगुल हसन औरंगजेब है.
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जाधव की मौत की सदा आईसीजे ने रोकी थी
गौरतलब है कि पाकिस्तान की सैन्य अदालत के जाधव को मौत की सजा के फैसले के खिलाफ भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत का रुख किया था. हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने जुलाई 2019 में दिए फैसले में कहा था कि पाकिस्तान जाधव को दोषी ठहराने के फैसले और सजा की प्रभावी तरीके से समीक्षा और पुनर्विचार करे तथा साथ ही बिना देरी के भारत को राजनयिक पहुंच दे. अंतरराष्ट्रीय अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि पाकिस्तान जाधव को सैन्य अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए उचित मंच मुहैया कराए.
HIGHLIGHTS
- कुलभूषण जाधव पर पाकिस्तान फिर की सुनवाई शुरू
- भारत पर प्रक्रिया में शामिल नहीं होने का लगाया आरोप
- सैन्य अदालत के फैसले को पलटा था हैग स्थित आईसीजे ने