पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (PM Imran Khan) का चेहरा एक बार फिर बेनकाब हो गया है. पाकिस्तान की एक अदालत ने मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड एवं जमात उद दावा के सरगना हाफिज सईद (Hafiz Saeed) के खिलाफ आतंकवाद के वित्तपोषण से जुड़े दो मामले उसके आग्रह पर लाहौर भेज दिए. हाफिज सईद को आतंकवाद के वित्तपोषण से संबंधित मामलों में 17 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था. वह यहां कोट लखपत जेल में बंद है.
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हाफिज सईद को संयुक्त राष्ट्र ने अपनी आतंकवादियों की सूची में डाला था और अमेरिका ने उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है. लाहौर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ममून राशिद शेख ने सईद और उसके करीबी सहयोगी जफर इकबाल की याचिका पर सुनवाई की. सईद ने अपनी याचिका में अदालत से मुल्तान और सहीवाल में अपने खिलाफ दर्ज मामलों को लाहौर भेजने का आग्रह किया, ताकि लाहौर स्थित आतंकवाद रोधी अदालत उसके खिलाफ इस तरह के सभी मामलों में सुनवाई कर सके. अभियोजन के कोई आपत्ति न जताने पर अदालत ने सईद की याचिका स्वीकार कर ली.
बता दें कि इससे पहले पाकिस्तान की आतंकवाद रोधी अदालत (Anti Terror Court) ने आतंकवाद के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के दो मामलों में मुंबई हमले (Mumbai Blasts) के मास्टरमाइंड हाफिज सईद (Hafiz Saeed) के खिलाफ दोषी करार दिया था. एटीसी ने आतंकी हाफिज सईद को दोषी साबित करते हुए 5 साल 6 महीने की सजा का ऐलान किया है. इसके पहले एंटी टेररिज्म कोर्ट ने पिछले सप्ताह 8 फरवरी यानि की शनिवार को अदालत ने सईद के मामले पर सुनवाई पूरी कर ली थी, जिसके बाद बुधवार को एंटी टेररिज्म कोर्ट ने हाफिज सईद पर अपना फैसला सुनाया था.
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शनिवार को सुनवाई पूरी होने के बावजूद हाफिज सईद के अनुरोध पर कोर्ट ने ऐसा किया और मामले की सुनवाई मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी. आतंकवाद रोधी अदालत (ATC) लाहौर के न्यायाधीश अरशद हुसैन भुट्टा ने आतंकवाद के लिए धन मुहैया कराने के दो मामलों में जमात उद दावा के प्रमुख के खिलाफ फैसले को सुरक्षित रख लिया था.