पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोपी को अदालत ने मौत की सजा सुनाई है. ईसाई व्यक्ति की सोशल मीडिया पोस्ट के कारण दंगे हो गए थे और दर्जनों चर्चों में आग लगई गई थी. अदालत ने आरोपी पर 10 लाख का जुर्माना भी लगाया है. पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के तहत इस्लाम या फिर इस्लामिक धार्मिक हस्तियों का अपमान करने वाले व्यक्ति को मौत की सजा सुनाई जा सकती है. पाकिस्तान में 96.47 प्रतिशत मुसलमान हैं, 2.14 प्रतिशत हिंदू, 1.27 प्रतिशत ईसाई, 0.09 प्रतिशत अहमदिया मुसलमान और 0.02 प्रतिशत अन्य लोग हैं। आंकड़े 2021 के अनुसार है.
हाल ही में ईशनिंदा के आरोप में हत्या
पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में लोगों की हत्याएं आम हैं. हाल ही में सियालकोट का एक व्यक्ति स्वात घूमने आया था. यहां युवक ने कथित तौर पर कुरान के कुछ पन्ने जला दिए थे. युवक को पुुलिस ने हिरासत में ले लिया. कुरान की बेअदबी से लोग बहुत गुस्से में थे. भीड़ ने फायरिंग की. गोलबारी में एक गुस्साई भीड़ ने थाने में आग लगा दी. इस बीच, कुछ लोग थाने में घुस गए और उन्होंने संदिग्ध को गोली मार दी. भीड़ बड़ी निर्दयता से आरोपी व्यक्ति के शव को घसीटकर मदयान अड्डे ले गई और वहां लटका दिया.
भीड़ तंत्र पर रक्षा मंत्री ने भी जताई है चिंता
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में संसद सत्र के दौरान देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर चिंता जाहिर की थी. उन्होंने कहा कि देश में धर्म के नाम पर लोगों के साथ हिंसा हो रही है. लोग अपने मजहब के कारण हिंसा का सामना कर रहे हैं. मैं अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हूं. मैं उनके मुद्दों को भी उठाना चाहता हूं लेकिन विपक्ष रोकने की कोशिश कर रहा है. देश में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं, इस वजह से देश को वैश्विक स्तर पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है.
रक्षा मंत्री ने कहा था कि देश में संविधान लागू है, बावजूद इसके लोग यहां सुरक्षित नहीं है. लोगों को घर्म के आधार पर ईशनिंदा के आरोपों और व्यक्तिगत रंजिश के कारण हिंसा का सामना करना पड़ रहा है. यह बहुत ही अधिक शर्मनाक है. हम अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक प्रस्ताव पेश करना चाहते हैं. अब तक मारे गए लोगों के साथ ईशनिंदा से जुड़े कोई सबूत नहीं मिल पाए हैं. ऐसा लगता है कि यह हत्याएं व्यक्तिगत प्रतिशोध के कारण हुई है.
Source : News Nation Bureau