Pakistan Crisis: पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ (Shabaz Sharif) के लिए अब करो या मरो की स्थिति पैदा हो गई है. कर्ज से दबे पाकिस्तान को अब अपने पड़ोसी देश भारत से आस बनी हुई है. शरीफ ने हाल ही में एक इंटरव्यू के जरिए इस बात के संकेत भी दिए थे. साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा था कि हम अपने पड़ोसी के साथ अमन और शांति का रिश्ता कायम करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि भारत के साथ पाकिस्तान (#pakistan) तीन युद्ध लड़ चुका है. इन युद्धों से हमने सबक सीखा है कि ये सिर्फ देश में गरीबी और बेरोजगारी लेकर आते हैं. उन्होंने कहा, हमें एक दूसरे के साथ ही रहना है. ये हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम शांति कायम करके तरक्की के रास्ते पर चलें. इस साक्षात्कार में उन्होंने पीएम मोदी का भी नाम लिया. उन्होंने कहा कि हम देश को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और रोजगार देने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम अपने संसाधनों का उपयोग बमों और गोला-बारूद बनाने में नहीं खपा सकते हैं. उन्होंने कहा कि यही संदेश वे पीएम मोदी को भी देना चाहते हैं.
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पांच अगस्त 2019 का निर्णय वापस हो
इस साक्षात्कार के सोशल मीडिया पर छाने के बाद अब पाक पीएमओ की ओर से बयान सामने आया है. इस बयान ने शरीफ के बयान को पलट डाला है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से आए बयान में कहा गया क कश्मीर विवाद का हल यूएन के प्रस्तावों और जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावना के अनुसार होना जरूरी है. पीएमओ ने स्पष्ट कहा कि पीएम शहबाज का कहना है कि बातचीत तभी संभव हो सकती है, जब वो कश्मीर पर पांच अगस्त 2019 के निर्णय को वापस ले लेंगे. इस फैसले को वापस लिए बगैर बातचीत संभव नहीं हो पाएगी.
In ref. to PM Shehbaz Sharif's interview to Al Arabiya, the spokesman of the PM Office has said the PM has consistently maintained that Pakistan & India must resolve their bilateral issues, especially the core issue of Jammu & Kashmir, through dialogue and peaceful means. 1/3
— Prime Minister's Office (@PakPMO) January 17, 2023
पाकिस्तान में अभी भी चरमपंथियों का दबदबा
पीएमओ की ओर से आया बयान संकेत देता है कि कंगाली और भुखमरी झेल रहे पाकिस्तान में अभी भी चरमपंथियों का दबदबा बना हुआ है. इस दबाव के कारण पीएम को अपने बयान में बदलाव लाना पड़ा. पाक के पीएम शहबाज शरीफ इस समय चौतरफा मुसीबतों से घिरे में हुए हैं. हाल ही में उनका सऊदी अरब का दौरा चर्चा में रहा. बताया जा रहा है कि इस दौरान उन्होंने खुलकर कर्ज की डिमांड की. पाकिस्तान का सबसे करीबी चीन भी उसे मदद करने से पीछे हट रहा है. ऐसे में एकमात्र भारत उसे इस परेशानी से उबारने में मदद कर सकता है. मगर शरीफ के लिए भारत से मित्रता भारी पड़ सकती है. इससे उन्हें राजनीतिक नुकसान पहुंच सकता है. तभी उन्होंने कश्मीर के मुद्दे को बातचीत में शामिल किया है.
खत्म होता विदेशी मुद्रा भंडार
पाकिस्तान की हालत खस्ता है. अगर ऐसे ही हालात बने रहे तो पाक को श्रीलंका की तरह से जूझना पड़ सकता है. पाक की तिजोरी खाली है, यहां का विदेशी मुद्रा भंडार 4.5 अरब डॉलर ही शेष रह गया है. वहीं भारत में इस समय 600 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है. अगर पाकिस्तान ने बड़े सुधार नहीं किए तो यहां के लोगों के लिए आना वाला समय और कठिन हो सकता है.
HIGHLIGHTS
- फैसले को वापस लिए बगैर बातचीत संभव नहीं पाएगी: पाक पीएमओ
- पाकिस्तान में अभी भी चरमपंथियों का दबदबा बना हुआ
- शरीफ के लिए भारत से मित्रता भारी पड़ सकती है.