पाकिस्तान, करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब के लिए 14 गुना अधिक यानि 42 एकड़ जमीन आवंटित करेगा. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गवर्नर ने कहा है कि करतारपुर गलियारे पर 80 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है. यह गलियारा पाकिस्तान के करतारपुर में दरबार साहिब को गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे को जोड़ेगा. भारतीय सिख श्रद्धालु इससे वीजा मुक्त आवाजाही कर पाएंगे.
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‘दि न्यूज’ के मुताबिक, पंजाब के गवर्नर चौधरी मोहम्मद सरवर ने मंगलवार को करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब के लिए जमीन आवंटन तीन एकड़ से बढ़ाकर 42 एकड़ करने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि जमीन पर किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं होगा. परियोजना पर कार्य की रफ्तार की समीक्षा के लिए गलियारे का दौरा करने के दौरान सरवर ने कहा, हम दुनियाभर में रह रहे सिख भाइयों को यह संदेश देना चाहते हैं कि गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर के लिए जमीन में कटौती नहीं होगी. इसकी बजाए, गुरुद्वारा दरबार साहिब के लिए 42 एकड़ जमीन और खेती के लिए 62 एकड़ जमीन आवंटित की जा रही है.
उन्होंने कहा, इस तरह, गुरुद्वारा दरबार साहिब के लिए कुल 104 एकड़ जमीन दी जाएगी. धार्मिक पर्यटन और धरोहर के लिए कमेटी के प्रमुख गवर्नर ने कहा कि करतारपुर कॉरिडोर के लिए कुल 408 एकड़ जमीन दी जाएगी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए करतारपुर गलियारे का 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और उम्मीद है कि इस साल गुरु नानक की 550 वीं जयंती के पहले इसे पूरा कर लिया जाएगा. उन्होंने उम्मीद जतायी कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करतारपुर गलियारे के शुभारंभ समारोह में शिरकत करेंगे.
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करतारपुर कॉरिडोर पर रविवार को पाकिस्तान से हुई बातचीत में भारत ने अपनी शंकाओं को खुलकर उठाया था. खासकर करतारपुर कॉरिडोर का इस्तेमाल भारत विरोधी समूहों द्वारा किए जाने और पाकिस्तान की तरफ की करतारपुर सड़क के डूबने से लेकर श्रद्धालुओं की संख्या को लेकर भी भारत ने अपना पक्ष स्पष्ट तौर पर रखा. इनमें से कुछ पर तो पाकिस्तान सैद्धांतिक रूप से सहमत था और कुछ पर उसने विचार करने का आश्वासन दिया. गौरतलब है कि यह बातचीत ऐसे समय हो रही है, जब दोनों देशों के संबंध सामान्य गर्माहट से भी कोसों दूर हैं.
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पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने करतारपुर कॉरिडोर पर पाकिस्तान के फैसले का स्वागत किया है. पाकिस्तान ने सिख श्रद्धालुओं को यात्रा की अनुमति देने के लिए अलग परमिट प्रणाली की हटाने के प्रस्ताव पर सहमति जताई है. राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों से श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पासपोर्ट की माफी का भी अनुरोध किया गया है.