पाकिस्तान एक इस्लामी गणराज्य है लेकिन इस्लाम के अनुसार देश में कुछ भी नहीं हो रहा है. पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति काजी फैज ईसा ने यह टिप्पणी की. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति ईसा ने पाक संघीय सरकार कर्मचारी आवास फाउंडेशन में भूखंडों के आवंटन से संबंधित एक मामले की सुनवाई के लिए दो सदस्यीय पीठ का नेतृत्व करते हुए यह टिप्पणी की. उन्होंने यह भी कहा कि जनरलों को भूखंड दिए गए थे, लेकिन पूछा कि क्या उन्हें वेतन नहीं मिलता है. उन्होंने बताया कि झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों में गरीब लोगों ने रहने के लिए कमरों पर छोटे-छोटे कमरों का निर्माण किया. देश में सिर्फ अमीरों को ही प्लॉट मिलते थे और गरीबों को किसी ने प्लॉट नहीं दिए.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सवाल उठाया कि कैसे प्रधानमंत्री ने सरकारी कर्मचारियों को दो भूखंड आवंटित किए. यह कहते हुए कि गरीब लोगों को एक भी भूखंड नहीं मिला, लेकिन अमीरों को कई भूखंड मिले. जस्टिस ईसा ने एक अखबार की रिपोर्ट का जिक्र किया कि एक सचिव को दो प्लॉट दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि देश में भूखंडों के आवंटन के लिए कोई नियम नहीं हैं, जबकि प्रधानमंत्री ने अपनी मर्जी से दो भूखंड आवंटित किए.
कर्मचारी आवास फाउंडेशन के वकील ने अदालत के एक सवाल के जवाब में कहा कि दो भूखंड पहले दिए गए थे, लेकिन 2006 के बाद किसी को भी दो भूखंड नहीं मिले. सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता मुहम्मद सिद्दीकी ने अदालत को सूचित किया कि उसने एक भूखंड पर घर बनाया है लेकिन उससे भूखंड वापस लिया जा रहा है. न्यायमूर्ति ईसा ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या उसे पहले एक और भूखंड आवंटित किया गया था. बाद में अदालत ने सिद्दीकी के अनुरोध को खारिज कर दिया.