पाकिस्तान (Pakistan) को इस बात का अंदेशा है कि वह छह महीने और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में बना रह सकता है. संस्था की अगले महीने होने वाली बैठक में उसके ग्रे (Grey List) से निकलकर व्हाइट लिस्ट में आसार बहुत कम हैं. माना जा रहा है कि भारत के पेशबंदी के आगे संस्था को पाकिस्तान को अभी और ग्रे सूची में रखना पड़ेगा. जानकारी अखबार 'खलीज टाइम्स' ने अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तान के उच्चपदस्थ लोगों के हवाले से दी है. आतंक वित्तपोषण व धनशोधन पर लगाम लगाने के लिए पाकिस्तान पर भारी अंतर्राष्ट्रीय दबाव बना हुआ है. एफएटीएफ ने इस दिशा में प्रगति के लिए पाकिस्तान को एक निश्चित कार्ययोजना पर अमल करने को कहा है. फरवरी में पेरिस में संस्था की बैठक में इस पर विचार किया जाएगा कि पाकिस्तान ने इस दिशा में कितना काम किया है.
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6 महीने और रह सकता है ग्रे लिस्ट
इसी आधार पर उसके ग्रे लिस्ट में बने रहने या फिर यहां से निकालकर ब्लैक लिस्ट में डालने या व्हाइट लिस्ट में डालने पर फैसला होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि माना जा रहा है कि पाकिस्तान को अभी छह महीने और एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बनाए रखा जा सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह धनशोधन और आतंक वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए आवश्यक विधायी कदम उठा सके. प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता वाली आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य डॉ. अशफाक हसन खान ने 'खलीज टाइम्स' से कहा कि 'पाकिस्तान ने ग्रे लिस्ट से निकलने की दिशा में कई शानदार काम किए हैं. हमने 27 में 24 बिंदुओं पर अमल कर लिया है. एफएटीएफ का एक राजनैतिक पहलू भी है जिसकी वजह से हमें छह महीने और ग्रे लिस्ट में बने रहना पड़ सकता है.'
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फिर भी पाक हुक्मरान आशान्वित
इस बीच, पाकिस्तान के आर्थिक मामलों के मंत्री हम्माद अजहर ने सोशल मीडिया पर अपनी एक पोस्ट में कहा, 'इस पर अनुमान लगाना वक्त से पहले की बात है कि फरवरी में एफएटीएफ की बैठक में क्या होगा, लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों ने हाल के महीनों में कड़ी मेहनत की है और मुझे लगता है कि हमने एफएटीएफ कार्ययोजना को लागू करने में बहुत अच्छी प्रगति की है. हम आगे भी इसके लिए प्रतिबद्ध हैं. हमें यह भी लगता है कि कुछ खास सदस्यों की तरफ से एफएटीएफ कार्यवाही के राजनैतिकरण का प्रयास होगा जिसे खारिज कर दिया जाएगा.'
HIGHLIGHTS
- फरवरी में पेरिस में संस्था की बैठक में पाकिस्तान पर विचार किया जाएगा.
- छह महीने और एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बने रहने का अंदेशा.
- टेरर फंडिंग औऱ मनी लांड्रिंग रोकने के लिए भारी है दबाव.