अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को 30 करोड़ डॉलर की मदद को रोके जाने की रिपोर्ट को पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने सीधे तौर पर खारिज कर दिया। पाक विदेश मंत्री एस एम कुरैशी ने कहा ऐसी कोई मदद न थी और न है, न ही यह सहयोग थी और न ही सहायता राशि। ये वो पैसा है जो हमारे गठबंधन समर्थित फंड (सीएसएफ) के रूप में आती है। यह पैसे आतंक के खिलाफ साझा लक्ष्य के प्रति हम अपने संसाधनों से खर्च किया है। इस पैसे को उन्हें वापस देना था जो फिलहाल उन्होंने नहीं दिया। बता दें कि इससे पहले अमेरिका ने कहा था कि पाकिस्तान देश में चरमपंथी गुटों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने में नाकाम रहा है इसलिए यह आर्थिक मदद रोकी जा रही है।
एस एम कुरैशी ने कहा, 'ये आज नहीं हुआ, इस हुकुमत में आने से पहले ही उन्होंने गठबंधन समर्थित फंड के तहत पाकिस्तान के लिए जितनी सुरक्षा सहायता राशि थी उन्होंने इसे निलंबित किया हुआ है। मैं इसके बारे में जानकारी के साथ बात करना जरूरी समझ रहा था क्योंकि बहुत से लोग इसके बारे में मालूम करना चाह रहे थे।'
Pak Foreign Min SM Qureshi said,"USD 300 million (from US) is neither aid nor assistance.This came under coalition support fund.We spent this money from our own resources for shared goal of war against terrorism.They are supposed to reimburse it but till now they haven't."(2Sept) pic.twitter.com/QQOCbmnfab
— ANI (@ANI) September 3, 2018
बीते शनिवार को अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल कोनी फॉकनर ने शनिवार को जारी बयान में कहा, 'दक्षिण एशिया रणनीति के समर्थन में पाकिस्तान की गतिविधयों में कमी की वजह से हम बाकी बची 30 करोड़ डॉलर की धनराशि भी रोक रहे हैं।'
फॉकनर ने कहा, 'हम लगातार पाकिस्तान पर दबाव बनाते रहे कि वह अपने यहां सभी आतंकवादी गुटों के खिलाफ कोई त्वरित कार्रवाई करे लेकिन ऐसा नहीं किया गया। हम अब 30 करोड़ डॉलर की धनराशि का इस्तेमाल अपनी आवश्यक प्राथमिकताओं के लिए करेंगे।'
हालांकि, अभी अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के इस फैसले को कांग्रेस की मंजूरी मिलना बाकी है। अमेरिका का यह फैसला जनवरी में उसके फैसला का ही हिस्सा है, तब भी अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद रोक दी थी। पेंटागन का यह फैसला ऐसे समय में आया, जब अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो इस सप्ताह पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान से मिलने इस्लामाबाद पहुंच रहे हैं।
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अमेरिकी विदेश विभाग ने पाकिस्तानी धरती पर संचालित आतंकवादी नेटवर्कों से निपटने में नाकाम रहने पर पाकिस्तान की आलोचना की थी। इन गुटों में हक्कानी नेटवर्क और अफगान तालिबान शामिल हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी पाकिस्तान पर आरोप लगाते रहे हैं कि वह अमेरिका से मदद के नाम पर अरबों डॉलर लेकर उसे धोखा दे रहा है।
अमेरिका की लंबे समय से शिकायत रही है कि पाकिस्तान अफगान तालिबान, हक्कानी नेटवर्क और अल कायदा जैसे आतंकवादी गुटों का गढ़ बना हुआ है। गौरतलब है कि साल 2002 से पाकिस्तान को अमेरिका से आर्थिक मदद के तौर पर 33 अरब डॉलर से अधिक की धनराशि मिलती रही है। इसमें 14 अरब डॉलर की गठबंधन सहयोग धनराशि भी हैं।
Source : News Nation Bureau