पाकिस्तान की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को संघीय सरकार को निर्देश दिया कि कुलभूषण जाधव का प्रतिनिधित्व करने के लिए वकील नियुक्त करने की खातिर वह भारत को एक और मौका दे. इसके साथ ही अदालत ने मामले में सुनवाई एक महीने के लिए स्थगित कर दी. इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने जाधव के लिए एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा सुनायी गयी मौत की सजा की समीक्षा की सुनवाई के दौरान वकील की नियुक्ति के मुद्दे पर गौर किया.
भारतीय सेना के 50 वर्षीय सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव को अप्रैल 2017 में "जासूसी और आतंकवाद" के आरोप में एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान ने अदालत से कहा कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के आदेशों का पालन करने के लिए पाकिस्तान ने भारत को ‘कांसुलर’ पहुंच प्रदान किया.
हालांकि उसने जाधव के लिए वकील नियुक्त करने के पाकिस्तान के प्रस्ताव पर जवाब नहीं दिया है. अदालत ने दलीलों को सुनने के बाद सरकार को आदेश दिया कि वह जाधव पर आदेश भारत को भेजे. इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई तीन अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी.
भारतीय वकील पाक में वकालत नहीं कर सकता
कोर्ट में माना कि भारत को एक और मौका दिया जाना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में जाने का कोई मतलब नहीं है. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि भारत ने दस्तावेजों को इकट्ठा करने के लिए बैरिस्टर शाहनवाज नून को नियुक्त किया था. जब बैरिस्टर शाहनवाज नून अटॉर्नी जनरल के कार्यालय में आए, तो उनके पास कोई आधिकारिक अथॉरिटी लेटर नहीं था.
फिर बैरिस्टर शाहनवाज नून इसके बाद नहीं आए. वह पावर अटॉर्नी का भी इंतजार कर रहे हैं. एडवोकेट एक्ट 1961 के तहत, एक भारतीय वकील पाकिस्तान में वकालत नहीं कर सकता है. कानून के मुताबिक एक भारतीय वकील को पाकिस्तान में बहस करने का अधिकार नहीं है. वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि वह डिप्लोमैटिक चैनल के तहत पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं.
Source : Bhasha