ऐसा लग रहा है कि किसी 'नापाक रिश्ते' की तरह 'छोटा भाई' पाकिस्तान अपने 'बड़े भाई' चीन के ही 'नक्श-ए-कदम' पर ही चल रहा है. जिस तरह अरुणाचल प्रदेश पर अपना 'हक' जमाने वाला चीन भारतीय यात्रियों को नत्थी वीजा देता है. ठीक उसी तरह अब पाकिस्तान ने करतारपुर आने वाले भारतीय सिखों के साथ भेदभाव की नई चाल चली है. पाकिस्तान ने करतारपुर स्थित दरबार साहिब गुरुद्वारा आने वाले सिख श्रद्धालुओं को अलग-अलग बांटने का फैसला किया है. पहले वर्ग में सिर्फ भारतीय सिख श्रद्धालु शामिल होंगे, जबकि दूसरे वर्ग में दुनिया के बाकी हिस्सों से आने वाले सिख श्रद्धालु शामिल होंगे.
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दो अलग-अलग वीजा कॉलम
इसकी पुष्टि 'डॉन' अखबार में शुक्रवार को प्रकाशित रिपोर्ट से भी होती है. इस रिपोर्ट में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने ऑनलाइन वीजा सिस्टम में धार्मिक पर्यटन कॉलम जोड़ने का फैसला किया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्रालय ने दो अलग-अलग तरह के वीजा कॉलम तय किए हैं. एक भारत से आने वाले सिख श्रद्धालुओं के लिए और दूसरी विश्व के बाकी हिस्से से आने वालों के लिए. धार्मिक पर्यटन वीजा के लिए आवेदन सात से 10 कार्य दिवस में प्राप्त किया जा सकेगा.
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ड्राफ्ट पर नहीं बनी एकराय
उल्लेखनीय है कि भारत और पाकिस्तान ने गुरुद्वारा दरबार साहिब में भारतीय श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए वीजा मुक्त यात्रा पर सहमति बनाई थी, लेकिन यह अभी क्रॉस-बॉर्डर मार्ग को लेकर रुक गया है. इससे पहले दोनों पक्षों ने हर दिन 5,000 भारतीय श्रद्धालुओं को गुरुद्वारा जाने देने पर सहमति बनाई थी, जिसके लिए प्रस्तावित कॉरिडोर का इस्तेमाल होना था. हालांकि, विशेष मौके पर श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने का भी प्रावधान था, लेकिन बुधवार को दोनों पक्ष समझौते के ड्राफ्ट पर एकराय नहीं बना पाए.
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कई मसलों पर फंसा है पेंच
पाकिस्तान ने इस बात पर ही जोर दिया कि भारतीय श्रद्धालुओं की एंट्री पर सर्विस फी ली जाएगी और साथ ही प्रोटोकॉल अधिकारियों को जाने देने की भी अनुमति नहीं देने पर अड़ा रहा. पाकिस्तान का सुझाव है कि श्रद्धालुओं से 20 डॉलर चार्ज किया जाएगा, लेकिन भारत ने कहा कि यह चार्ज मुद्दा नहीं है, लेकिन किसी शुभ अवसर पर किसी भी गुरुद्वारा जाने के लिए कोई चार्ज नहीं लिया जाता है. गौरतलब है कि प्रस्तावित कॉरिडोर करतारपुर के दरबार साहिब को गुरदासपुर (पंजाब) के डेरा बाबा नानक से जोड़ेगा.
HIGHLIGHTS
- पाकिस्तान ने करतारपुर आने वाले भारतीय सिखों के साथ भेदभाव की नई चाल चली है.
- दरबार साहिब गुरुद्वारा आने वाले सिख श्रद्धालुओं को अलग-अलग बांटने का फैसला.
- एक भारत से आने वाले सिख श्रद्धालुओं के लिए, दूसरा विश्व के बाकी हिस्से से आने वालों के लिए.