फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (FATF) से बचने के लिए पाकिस्तान (Pakistan) ने एक नया पैंतरा अपनाया है. इसी क्रम में टेरर फंडिंग मामले में आतंकी सरगना हाफिज सईद (Hafiz Saeed) को साढ़े दस साल की सजा सुनाई गई है. साथ ही हाफिज सईद की संपत्ति भी जब्त करने के आदेश दिए गए हैं. साथ ही JUD के 4 आतंकियों को पाकिस्तानी कोर्ट ने जेल भेजा है.
आपको बता दें कि फ्रांस (France) के पेरिस में 21-23 अक्टूबर को फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (FATF) की तीन दिवसीय वर्चुअल बैठक हुई थी. इस बैठक में फैसला किया गया था कि पाकिस्तान सरकार की तमाम नाकामियों के चलते इमरान सरकार (Imran Khan) के इस बार भी ग्रे लिस्ट में बना रहेगा. आतंकी सरगना हाफिज सईद और मौलाना मसूद अजहर उसके ग्रे लिस्ट में बने रहने का सबसे बड़ा कारण है. वहीं, पाकिस्तान का दोस्त चीन ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की.
आतंकियों की मदद का भुगतना परिणाम होगा
पाकिस्तान को आतंकियों की मदद करना भारी पड़ रहा है. FATF ने पाकिस्तान को टेरर फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी संगठनों की मदद को रोकने से जुड़े 27 लक्ष्य दिए थे, जिनमें से अंतिम 6 को इस मीटिंग से पहले पूरा करना था. अभी तक न तो पाकिस्तान ने आतंकी सरगना हाफ़िज़ सईद और मौलाना मसूद अजहर के खिलाफ कोई कार्रवाई की और न ही वॉचलिस्ट से गायब हुए 400 आतंकियों के बारे में स्पष्टीकरण दिया है. FATF पाकिस्तान के इस रुख से खासा नाराज है.
अब भी ग्रे लिस्ट में रहेगा पाकिस्तान
फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स के नियमों का पाकिस्तान लगातार उल्लंघन कर रहा है. एफएटीएफ ने पाक को 27 कार्ययोजनाएं पूरी करने की जिम्मेदारी दी थीं, जिनमें से उसने अभी 21 को पूरा किया और कुछ काम पूरे नहीं कर सका है. जिन कार्यों को पाकिस्तान ने पूरा नहीं किया है, उनमें मसूद अजहर, हाफिज सईद और जाकिर उर रहमान लखवी जैसे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करना शामिल है. अजहर, सईद और लखवी भारत में अनेक आतंकी हमलों में संलिप्तता के लिए सर्वाधिक वांछित आतंकवादी हैं.
Source : News Nation Bureau