पाकिस्तान के हुक्मरान और मीडिया कश्मीर और भारतीय मुसलमानों के हमदर्द बनने का एक भी मौका नहीं छोड़ते हैं. भले ही अपना पक्ष मजबूत करने के लिए उन्हें तथ्यों से छेड़छाड़ ही क्यों न करनी पड़े. गुरुवार को जब नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनने की शपथ लेने जा रहे हैं तो पाकिस्तान के एक अखबार में छपे लेख में मोदी की जीत को भारतीय मुसलमानों और कश्मीर के लिए खतरे का संकेत बताया है. गौरतलब है कि 2014 में भी नरेंद्र मोदी के जीत के केंद्रीय सत्ता में आने पर पाकिस्तानी मीडिया ने उन्हें एक निरंकुश शासक बताया था.
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डॉन में छपे लेख में उगला गया जहर
दरअसल, पाकिस्तान के अखबार डॉन ने आज इब्न अब्दुर रहमान का एक लेख प्रकाशित किया है. पाकिस्तान के लोकप्रिय चेहरे और मानवाधिकार कार्यकर्ता रहमान ने इस लेख में लिखा है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली प्रचंड जीत में भारत ने अपनी पंथनिरपेक्ष छवि को दफन कर दिया है. इसके साथ ही यह आरोप भी लगाया है कि भाजपा ने इस चुनाव में जिस रणनीति को अपनाया, वह वास्तव में वह पूरे देश को हिंदू राष्ट्र में बदलने की नीति थी. इसमें उसको सफलता मिली है.
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सेक्युलर छवि महज दिखावा
रहमान ने इस लेख में लिखा है कि मतदाताओं ने नरेंद्र मोदी को सत्ता में वापस लाकर इस ओर साफ-साफ इशारा कर दिया है कि उनके लिए सेक्युलर होने की छवि केवल दिखावे भर की ही है. मतदाताओं ने उन्हें इस चुनाव में प्रचंड जीत दिलाकर मोदी को अल्पसंख्यकों के प्रति निरंकुश बनने का लाइसेंस दे दिया है. उन्होंने अपने इस लेख से न सिर्फ पीएम मोदी को कठघरे में लाने की कोशिश की है, बल्कि भारतीय सेना पर भी सवाल खड़ा किया है. उन्होंने लिखा है कि यह जीत इस बात की तरफ इशारा है कि कश्मीर में मसले का निपटारा केवल और केवल सेना की वादी में सख्ती से ही किया जा सकता है.
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बीजेपी ने पाकिस्तान पर लड़ा चुनाव
रहमान आगे लिखते हैं कि भाजपा ने यह पूरा चुनाव पाकिस्तान से भारत को खतरे के मुद्दे पर लड़ा था. उनकी सरकार में दोबारा वापसी भारत के पड़ोसी देश खासकर पाकिस्तान से भारत के संबंधों पर जरूर असर डालेगी. कश्मीर को लेकर उन्होंने पीएम मोदी की वापसी को बेहद बुरा बताते हुए लिखा है कि इससे वहां पर सेना को जहां नागरिकों पर दबाव बढ़ाने की मंजूरी मिल जाएगी, वहीं नागरिकों को मिले बुनियादी अधिकार भी खत्म हो जाएंगे.
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कांग्रेस औऱ लेफ्ट का भी जिक्र
चुनाव का जिक्र करते हुए रहमान ने लिखा है कि इस चुनाव में कांग्रेस समेत लेफ्ट पार्टियों को भी अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ा है. जिस सीपीआई-एम को ममता ने पश्चिम बंगाल की सरकार से बाहर कर दिया था, वह टीएमसी भी इस चुनाव में अपनी सीटें नहीं बचा पाई है. मोदी द्वारा उठाए गए देश की सुरक्षा और धर्म के मुद्दे के सामने लेफ्ट हो या कांग्रेस सभी पूरी तरह से विफल साबित हुए.
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मुसलमान और दलित बनाए गए बलि का बकरा
इसमें उन्होंने यह भी लिखा है कि इस पूरे चुनाव में उन्होंने अपने दो एजेंडों को भुनाने पर काम किया. पहला देश की अर्थव्यवस्था और दूसरा हिंदुत्व. इस दौरान मोदी ने खुद को योगी बताकर यह साबित कर दिया कि वह हिंदुत्व और हिंदुओं के प्रति समर्पित हैं. वहीं इस चुनाव में अल्पसंख्यक विशेषकर मुस्लिम और दलितों को जीत के लिए बलि का बकरा बनाया गया.
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प्रचंड जीत मोदी को बना देगी घमंडी
रहमान ने इस लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर भड़ास निकाली है. वह आगे लिखते हैं कि उन्होंने इस चुनाव में बड़ी चतुराई के साथ राष्ट्रियता या राष्ट्रवाद के नाम पर लोगों की भावनाएं भड़काई और पाकिस्तान से भारत को डर को भी बखूबी भुनाया. चुनाव जीतने के लिए उन्होंने उस बालाकोट एयर स्ट्राइक का भी जिक्र किया जिससे पाकिस्तान पर कोई फर्क नहीं पड़ा. वह लोगों को यह बता पाने में भी सफल रहे कि उनके रहते पाकिस्तान को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने इसमें लिखा है कि इस चुनाव में मिली प्रचंड जीत मोदी को और अधिक घमंडी बना देगी.
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इमरान खान के गाए गुण
उनके मुताबिक 2014 में भाजपा के नेताओं के सामने उन्हें समर्थन देने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था. वहीं इस बार उन्होंने किसी दूसरे नेता को अपने बराबर खड़ा नहीं होने दिया. इन सभी में केवल और केवल अमित शाह एकमात्र अपवाद हैं. अपने लेख में रहमान ने इमरान खान की तारीफ करते हुए कहा है कि दोनों देशों और पूरे इलाके में शांति स्थापित करने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने जो कदम भारत की तरफ बढ़ाया वह न सिर्फ तारीफ के काबिल है, बल्कि सही भी है.
HIGHLIGHTS
- पाकिस्तानी अखबार डॉन में छपे लेख में नरेंद्र मोदी पर उगला गया जहर.
- बीजेपी को मिली प्रचंड जीत से मुसलमानों और कश्मीर पर खतरा बढ़ा.
- मोदी ने चुनाव पाकिस्तान को केंद्र में रख राष्ट्रवाद पर लड़ा.
Source : News Nation Bureau