इमरान खान से खुद का घर संभल नहीं रहा और 57 मुस्लिम देशों का मजमा लगाकर फिलीस्तीन और कश्मीर संभालने का भड़काऊ एजेंडा चला रहे हैं. अभी ये भी साफ नहीं कि वजीर-ए-आज़म कुर्सी पर कितने घंटे और रहेंगे और OIC के मंच पर जिहाद की दुहाई दे रहे हैं. जिस पाकिस्तानी सेना के जनरल ने 2018 में इमरान खान नियाजी की ताजपोशी की स्क्रिप्ट तैयार की थी. साथ ही मुल्क के कट्टरपंथी जमातों और PTI के बीच मज़बूत कड़ी तैयार की थी. वो सेना अब इमरान को एक दिन भी PM की कुर्सी पर नहीं देखना चाहती तो वही जनरल बाजवा जम्हूरियत पर चोट देने की टाइमिंग का इंतज़ार रहे हैं.
संसद का गणित भी इमरान खान के पक्ष में नहीं
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 342 सदस्य हैं
172 सीट बहुमत का जादुई आंकड़ा है
7 सहयोगी दलों के साथ इमरान सरकार के पास 179 सीटें हैं
मगर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ यानी PTI के 24 से 26 सदस्य बागी हो गए और सरकार अल्पमत में आ गई
28 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग है और इमरान के लिए खतरे की घंटी यही है कि बागी सांसदों ने इमरान सरकार के खिलाफ वोट देने का मन बना लिया है.
पाकिस्तान में सियासी तूफान, उड़ जाएंगे इमरान
इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले दलों में नवाज़ शरीफ की पार्टी PML-N और भुट्टो फैमिली की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने हाथ मिला लिया और नवाज़ शरीफ की पार्टी ने PM पद के लिए शहबाज़ शरीफ का नाम आगे कर दिया है. इमरान सरकार के खिलाफ विपक्ष लामबंद है तो वहीं महंगाई की मार से लहूलुहान जनता इमरान से आज़ादी मांग रही है और पाकिस्तानी सेना अपने लिए मौका ढूंढ रही है.
घिरे इमरान... तो फिर सामने आया कश्मीर पर ना'पाक' प्लान
OIC के मंच से इमरान खान ने कहा कि हम लोग फिलीस्तीनी और कश्मीरी दोनों ही लड़ाई में विफल रहे हैं, मुझे ये कहते हुए दुख हो रहा है कि हम कोई प्रभाव नहीं डाल पाए हैं. पाकिस्तान में जो कुछ हो रहा है या अगले दो तीन-चार दिनों में जो कुछ होगा उसकी आंच में आतंक का साया है और भारत के लिए बड़ा खतरा यही है. पाकिस्तान आज जिस सियासी बवंडर के बीच खड़ा है उसने न सिर्फ अराजकता बढ़ने का खतरा है बल्कि अफगानिस्तान जैसे हालात बन सकते हैं जिसका सीधा सिरा जुड़ा है आतंकवाद से है.
भारत के नजरिए से सबसे बड़ी चुनौती यही है कि सरहद पार की हलचल में आतंकी तंजीमें कहीं फिर सिर न उठाने लगे जिसके मद्देनज़र पाकिस्तान में सता बदलने से कश्मीर में आतंक का खतरा और बढ़ेगा. तख्तापलट से कट्टरपंथियों को भी बढ़ावा मिल सकता है और पाकिस्तान में अफगानिस्तान जैसे हालात बनने की आशंका है.
अबकी बार इमरान को जनरल बाजवा भी बख्शने को नहीं तैयार
7 दशक में पाकिस्तान अब तक तीन बार सैन्य तख्ता पलट का खूनी इतिहास देख चुका है और जब जब इस्लामाबाद में लोकतंत्र को फौजी बूटों तले रौंदा गया. तब तब हाफिज सईद ज़की, उर रहमान लखवी, मसूद अज़हर जैसे आतंक के आका ज्यादा जहरीले हुए. खतरा इस बार भी यही है कि बाजवा अपने साथ आतंक का कौन सा अजगर लाएंगे.
दरअसल जनरल बाजवा के इमरान का साथ छोड़ने के पीछे इस्लामाबाद का नाकाम होना ही है. आतंकवाद के खिलाफ भारत की आक्रामक स्ट्रैटजी के आगे पाकिस्तानी सेना को टेरर कैंप बचाना मुश्किल हो रहा है और इसका सीधा दबाव इमरान की सत्ता पर पड़ा. इमरान खान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर पर भारत विरोधी दुष्प्रचार का एजेंडा चलाते दिखे मगर वैश्विक ताकतों ने इमरान के ढोंग का साथ नहीं कश्मीर पर भारत के हाथों इमरान सरकार की पिटाई बाजवा को खटकने लगी और अब तो नौबत Pok से लेकर बलूचिस्तान तक खाली करने की आ गई है.
Source : Rajnish Singh