पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता, बल्कि समुदायों का हाशिए पर होना कट्टरपंथ की ओर ले जाता है. डॉन न्यूज के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 74वें सत्र से इतर पाकिस्तान और तुर्की ने बुधवार को हेट स्पीच को लेकर एक राउंड टेबल चर्चा की सह-मेजबानी की. इमरान खान ने तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन के साथ सम्मेलन को संबोधित किया. इसमें युनाइटेड नेशन एलाइनस ऑफ सिविलाइजेश (यूएनएओसी) के उच्च प्रतिनिधि मेग्यूल एंजेल मोरेटिनोस के एक महत्वपूर्ण नोट को भी दिखाया गया.
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पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कार्यालय ने अपने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री इमरान ने इस दौरान अपनी टिप्पणी में धर्म और आस्था के आधार पर भेदभाव और हिंसा की बढ़ती घटनाओं की ओर ध्यान खींचा. बयान में आगे कहा गया है कि इसके खात्मे की जरूरत पर बात करते हुए इमरान खान ने कहा कि इन घटनाओं के होने की वजहों और इनके नतीजों पर बात करने की दरकार है.
उन्होंने कहा, "इससे मजहब का कोई लेनादेना नहीं है..दहशतगर्दी का कोई मजहब नहीं होता है." उन्होंने आगे कहा, "लगभग सभी आतंकवाद राजनीति से जुड़े हुए हैं. यह राजनीतिक रूप से कथित अन्याय है जो हताश लोगों को पैदा करता है." तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने कहा कि नफरत फैलाने वाला बयान इंसानियत के खिलाफ किए गए सभी गुनाहों में सबसे पहले आता है. उन्होंने कहा कि दुनिया में 'हेट स्पीच' का सबसे ज्यादा शिकार मुस्लिम होते हैं.
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बता दें कि जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) से आर्टिकल 370 (Article 370) हटने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित होने से पाकिस्तान बुरी तरह बौखला गया है. पीएम इमरान खान (PM Imran Khan) हर मंच पर कश्मीर (Kashmir) का मुद्दा उठा रहे हैं, लेकिन उनकी कहीं भी नहीं सुनी जा रही है. इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र (United Nations) और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी उन्हें दरकिनार कर दिया है. इस पर इमरान खान ने न्यूयॉर्क टाइम्स के संपादकों से बातचीत में कहा कि कश्मीर में नरसंहार हो सकता है.