पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ( Imran Khan) ने कूछ दिन पहले 'मिडिल ईस्ट आई' को एक इंटरव्यू दिया था. जिसमें उन्होंने चरमपंथी समूह 'तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान' (TTP) को 'पश्तून आंदोलन' कह दिया. जिससे पश्तूनों की भावनाओं को ठेस पहुंची, और वो इनके निशाने पर आ गए. साथ ही मोहसिन दाऊद जो कि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य हैं, उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान को अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए.आपको बताते हैं कि पूरा माजरा क्या है. दरअसल इमरान खान 'मिडिल ईस्ट आई' को इंटरव्यू दे रहे थे.
इसमें उनसे सवाल किया गया कि उन्होंने अपनी किताब में ये क्यों कहा कि अमेरिका के वापस जाने के बाद अफगानिस्तान में सब कुछ ठीक हो जाएगा. साथ ही टीटीपी यानी तहरीक-ए-तालिबान ने पाकिस्तान के लिए समस्या खड़ी कर दी है. और अमेरिका के वापस जाने के बाद इस समस्या का हल हो जाना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ हो पाया है. क्यों?
फिर इसके बाद इमरान खान ने अपने जवाब में कहा कि "टीटीपी पाकिस्तानी सीमा के पश्तून हैं... तालिबान एक पश्तून आंदोलन है. औऱ अफगानिस्तान की बात करें तो अफगानिस्तान में लगभग 45 से 50 फीसदी आबादी पश्तून है, लेकिन अगर डूरंड लाइन से लेकर पाकिस्तान तक देखें तो पश्तूनों की आबादी लगभग दोगुना हो जाती है.
आगे प्रधानमंत्री कहते हैं कि "उन्होंने हमें सहयोगी कहा, हम पर हमला करना शुरू कर दिया और खुद को पाकिस्तानी तालिबान कहने लगे. एक समय पर 50 अलग-अलग समूह थे जो खुद को तालिबान कहते थे और हम पर हमला करते थे."
इसके अलावा उन्होंने अमेरिका का अफगानिस्तान पर अटैक का भी जिक्र किया. कहा कि "जिस समय अमेरिका ने अफगानिस्तान पर अटैक किया था तो पश्तूनों ने तालिबान को वहां से खदेड़ दिया. जिसकी वजह से पश्तूनों के लिए मदद करना एक अपनापन था. जो कि बहुत मजबूत है.
HIGHLIGHTS
- इमरान खान ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को 'पश्तून आंदोलन' कहा
- असेंबली के सदस्य ने कहा कि उन्हे माफी मांगनी चाहिए
Source : News Nation Bureau