पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि देश की सेना उनके साथ है और विपक्षी दल के दबाव में उनके इस्तीफे का कोई सवाल ही नहीं उठता. उन्होंने कहा कि हालात इस ओर इशारा कर रहे हैं कि विपक्षी दल के 'आजादी मार्च' के पीछे भारत का हाथ है. पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.
पाकिस्तान के विपक्षी दल जमीयते उलेमाए इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) के नेता मौलाना फजलुर रहमान ने इमरान सरकार के इस्तीफे की मांग के साथ देश में आजादी मार्च निकालने की ऐलान किया है जो 31 अक्टूबर को इस्लामाबाद पहुंचेगा. इमरान सरकार ने इस मार्च की इस शर्त के साथ इजाजत दी है कि इसे संविधान के दायरे में होना होगा और यह शांतिपूर्ण होगा.
रिपोर्ट में बताया गया है कि इमरान ने वरिष्ठ पत्रकारों से एक मुलाकात में कहा कि पाकिस्तानी सेना पूरी तरह से उनके साथ है और सरकार के एजेंडे का समर्थन करती है. नागरिक व सैन्य संबंध विश्वास पर आधारित हैं और दोनों के बीच यह विश्वास काफी मजबूत है। उन्होंने कहा कि वह 'कभी भी देश नहीं छोड़ेंगे और देश को संकटों से बाहर निकालेंगे.'
इमरान ने कहा कि जेयूआई-एफ नेता के प्रदर्शन में उन्हें साजिश नजर आ रही है और इसका एक निश्चित एजेंडा है. यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें किसी विदेशी एजेंडे का कोई सबूत मिला है तो उन्होंने कहा कि नहीं, कोई सबूत तो नहीं है लेकिन 'मार्च का समय और क्षेत्रीय स्थिति इसके पीछे भारत का हाथ होने का संकेत दे रहे हैं.'
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बातचीत में मौजूद एक पत्रकार ने बताया कि प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता और वह इस्तीफा नहीं देंगे. उन्होंने विपक्षी धरने को एजेंडा आधारित बताया और कहा कि इसे विदेशी समर्थन हासिल है.
रिपोर्ट में बातचीत में शामिल पत्रकारों के हवाले से बताया गया है कि इमरान ने कहा, 'जेयूआई-एफ के मार्च ने भारत में खुशी की लहर पैदा कर दी है. मुझे नहीं मालूम कि मौलाना (फजल) की समस्या क्या है. मैं विपक्ष के एजेंडे को समझ नहीं पा रहा हूं.'
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इमरान ने माना कि देश में महंगाई और बेरोजगारी का संकट है और कहा कि सरकार इनसे निपटने का प्रयास कर रही है. यह पूछे जाने पर कि (नवाज शरीफ) सरकार को गिराने के लिए उन्होंने भी धरना दिया था, तो इमरान ने दावा किया कि उनका धरना बेवजह नहीं था, चार निर्वाचन क्षेत्रों के चुनाव में धांधलियों का उनके पास सबूत था।