पाकिस्तान (Pakistan) ने मंगलवार को यहां संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में कश्मीर मुद्दे (Kashmir Issue) को फिर से उठाया और घाटी में संचार प्रतिबंधों को तत्काल हटाने और सभी राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को रिहा करने की मांग की. पाकिस्तान ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी से भारत के हौंसले बुलंद होंगे. स्विट्जरलैंड के जिनेवा में 24 फरवरी से 20 मार्च तक आयोजित होने वाले मानवाधिकार परिषद के 43 वें सत्र में पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शिरीन माजरी ने भारत पर कश्मीरी लोगों के मानवाधिकारों का हनन करने का आरोप लगाया और कश्मीर में पिछले साल 5 अगस्त को भारत द्वारा उठाए गए सभी कदमों को तत्काल वापस लेने की मांग की.
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गौरतलब है कि भारत ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत मिले विशेष राज्य के दर्जे को रद्द कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था. पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की कोशिश करता रहा है, लेकिन भारत ने लगातार कहा है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करना उसका ‘आंतरिक मामला’ है. भारत ने पाकिस्तान को वास्तविकता स्वीकार करने और भारत विरोधी बयानबाजी को रोकने के लिए कहा है.
कश्मीर में गिरफ्तार नेताओं को तुरंत रिहा करने की मांग
माजरी ने आरोप लगाया कि छह हजार से अधिक कश्मीरी लोग, कार्यकर्ता... कानून की उचित प्रक्रिया के बिना गिरफ्तार किए गए हैं. उन्होंने उनकी तत्काल रिहाई की मांग की. अपने कट्टर भारत-विरोधी रुख के लिए जानी जाने वाली मंत्री ने कहा कि इस मामले में अंतरराष्ट्रीय समुदाय और परिषद की किसी भी चुप्पी से भारत के हौंसले बुलंद होंगे. माजरी ने यूएनएचआरसी और बाकी अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वे जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित हनन और उल्लंघनों के खिलाफ कदम उठाएं.
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अपने भाषण में उन्होंने परिषद से कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन की जांच और रिपोर्ट करने के लिए एक स्वतंत्र जांच आयोग का गठन करने की अपील की, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में प्रस्ताव दिया गया था. 2018 में मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) ने अपनी रिपोर्ट में कश्मीर पर एक स्वतंत्र, अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग गठित करने की सिफारिश की थी.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मानवाधिकार की रक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर के संबंध में विचार करना चाहिए
माजरी ने कहा कि पाकिस्तान, जांच आयोग को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में इसकी सुविधा प्रदान करने के लिए तैयार है और उसने भारत से अपने हिस्से वाले जम्मू-कश्मीर में जांच कराने की अनुमति देने के लिए कहा है. उन्होंने आठ कदमों को रेखांकित करते हुए कहा कि परिषद और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को घाटी में मानवाधिकार की रक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर के संबंध में विचार करना चाहिए.