पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार लगभग ठप है. इसका खामियाजा दोनों देशों की जनता को महंगाई के रूप में चुकानी पड़ रही ही है. पाकिस्तान की आर्थिक हालत ज्यादा खराब है, लिहाजा रिश्तों में आई कड़वाहट की कीमत पाकिस्तानी जनता को ज्यादा चुकानी पड़ रही है. पाकिस्तान में महंगाई आसमान छू रही है, जिससे आम जनता की हालत दिनों दिन खराब होती जा रही है. इस वक्त भारत और पाकिस्तान के बाच सीधा व्यापार न होकर दुबई के माध्यम से चीजें आती और जाती है, जिससे चीजें महंगी हो जाती है. इसका एहसास अब पाकिस्तान के हुकमरानों को होने लगा है. वाणिज्य मालों के इमरान खान के सलाहकार अब्दुल रजाक दाऊद ने भारत से सीधे व्यापार की वकालत की है. उन्होंने कहा है कि भारत के साथ व्यापार इस वक्त की जरूरत है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार भारत से ज्यादा पाकिस्तान के लिए फायदेमंद है.
पाकिस्तानी मीडिया से बातचीत के दौरान अब्दुल रजाक दाऊद ने रविवार को कहा कि जहां तक वाणिज्य मंत्रालय का सवाल है, तो हम चाहते हैं कि भारत के साथ व्यापार हो. उन्होंने कहा कि मेरा रुख ये है कि हमें भारत के साथ व्यापार करना चाहिए. दोनों देशों के बीच व्यापार को फिर से शुरू किया जाना चाहिए. अब्दुल रजाक दाऊद ने कहा कि भारत के साथ व्यापार का वो समर्थन करते हैं, क्योंकि ये पाकिस्तान के लिए बेहद फायदेमंद है. उन्होंने कहा कि भारत के साथ व्यापार सभी के लिए बहुत फायदेमंद है, खासकर पाकिस्तान के लिए. इसलिए मैं इसका समर्थन करता हूं. गौरतलब है कि इससे पहले भी पाकिस्तान सरकार ने भारत से व्यापार बहाल करने की बात कही थी, लेकिन विपक्ष के विरोध की वजह से इमरान सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे. पाकिस्तान में आसमान छूती महंगाई और लोगों पर उसके प्रतिकूल प्रभाव पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैं इस मुद्दे पर आपसे सहमत हूं. लेकिन तेल, कच्चे माल, मशीनरी और दूसरे सामानों के आयात की वजह से यह समस्या और बनी रहेगी.
भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार इसलिए है प्रतिबंध?
भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 2019 से व्यापार बहुत ही कम हो रहा है. दरअसल, फरवरी 2019 में कश्मीर के पुलवामा हमले में 40 भारतीय अर्द्ध सैनिक बल के जवान एक आतंकी हमले में शहीद हो गए थे. इसके बाद भारत ने इस घटना के लिए, पाकिस्ता को जिम्मेदार ठहराते हुए पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापिस लेने के साथ ही व्यापार पर कस्टम ड्यूटी 200 फीसद तक बढ़ा दिया था. इसका असर ये हुआ कि भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार कुछ ही महीनों के अंदर 10 प्रतिशत से भी कम रह गया. वहीं, भारत ने अगस्त 2019 में जब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाया था तो इसके विरोध में जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान ने भारत से आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद दोनों देशों के बीच व्यापार 90 फीसद तक गिर गया है. पाकिस्तान का कपड़ा और चीनी उद्योग इस प्रतिबंध से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. वहीं, भारत के सीमेंट, सेंधा नमक और छुहारे, मुलतानी मिट्टी, ड्राई फूट्स के बाजार पर इस प्रतिबंध का व्यापक असर पड़ा है. गौरतलब है कि पाकिस्तान पर इस व्यापार प्रतिबंध का ज्यादा असर हुआ है. दरअसल, पाकिस्तान का कपड़ा और दवा उद्योग के लिए कच्चे माल के लिए भारत पर निर्भर है और प्रतिबंधों का इन पर खासा असर पड़ा है.
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इन वजहोंसे भी कम हो रहा है व्यापार
भारत और पाकिस्तान के बीच कम व्यापार होने की कई और वजहें हैं, दरअसल, हाई टैरिफ, कठिन वीजा नीति और व्यापार की मुश्किल प्रक्रिया दोनोमं देशों के बीच व्यापार कम होने का प्रमुख कारण है. गौरतलब है कि वर्ष 2018 में आई विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर दोनों देश व्यापार प्रक्रिया को आसान बनाते हैं, टैरिफ को कम करते हैं और वीजा नीति को आसान बनाते हैं तो दोनों का व्यापार 2 अरब डॉलर से बढ़कर 37 अरब डॉलर का हो सकता है. हाल के दिनों की बात करें तो आरबीआई के मुताबिक भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार में थोड़ी बढ़ोतरी आई है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक, भारत से पाकिस्तान को निर्यात दिसंबर में बढ़कर 2.94 अरब हो गया, जो नवंबर 2021 में 1.82 अरब था.
HIGHLIGHTS
- बढ़ती महंगाई से परेशान है जनता
- भारत से व्यापार बंद होने से बढ़ी मुश्किलें
- भारत-पाक व्यापार को बताया वक्त की जरूरत