मोदी सरकार (Modi Government) ने पुष्टि की है कि सीमा पार नदियों के प्रबंधन के लिए 1960 की सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) में संशोधन की मांग करते हुए जनवरी में भेजे गए नोटिस पर पाकिस्तान (Pakistan) का जवाब मिल गया है. गौरतलब है कि विश्व बैंक ने भारत और पाकिस्तान को जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में किशनगंगा और रातले पनबिजली परियोजनाओं पर पाकिस्तान की आपत्तियों को दूर करने के लिए परस्पर सहमति से समाधान खोजने के लिए कहा था. इसके बावजूद इस्लामाबाद की ओर से भारत के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने से लगातार इंकार करने के कारण सरकार को नोटिस देना पड़ा था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने कहा, 'पाकिस्तान ने कहा कि वह सद्भावना के साथ संधि को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है. भारत सरकार पत्र की जांच कर रही है.'
मोदी सरकार ने जनवरी में भेजा था नोटिस
प्राप्त जानकारी के मुताबिक 2017 से लेकर 2022 के बीच स्थायी सिंधु आयोग की पांच बैठक हुईं. इनमें से पाकिस्तान ने किसी भी बैठक में इस मसले पर बात नहीं की. ऐसे में भारत ने इस साल हेग में मध्यस्थता अदालत की सुनवाई से दो दिन पहले सिंधु संधि में संशोधन के लिए 25 जनवरी को पाकिस्तान को एक नोटिस जारी किया था. यह नोटिस भारत ने संधि के अनुच्छेद 12 के तहत भेजा था. गौरतलब है कि 1960 में पंडित जवाहर लाल नेहरू और अयूब खान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी. इसके तहत तीन नदियों का पानी पाकिस्तान को जबकि तीन नदियों का पानी भारत को मिलता है. भारत के हिस्से का पानी 33 मिलियन एमएफ है, जिसमें वह 31 एमएफ मिलियन का इस्तेमाल करता है. अब पाकिस्तान जल परियोजनाओं का विरोध कर रहा है. इस कारण पूरा विवाद जन्मा है.
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पाकिस्तान विदेश कार्यालय का बयान
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि इस्लामाबाद ने सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए बातचीत शुरू करने के लिए भारत के एक पत्र का जवाब दिया है. विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने अपनी ब्रीफिंग में कहा, 'मैं इसकी पुष्टि करती हूं कि पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि पर भारतीय नोटिस का जवाब दे दिया है. पाकिस्तान सरकार नेक नीयत के साथ सिंधु जल संधि को लागू करने और अपनी जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.' गौरतलब है कि नोटिस रिसीव करने के तीन महीने के भीतर पाकिस्तान इस पर आपत्ति दर्ज करा सकता था.
HIGHLIGHTS
- पाकिस्तान की हेकड़ी मोदी सरकार के नोटिस ने निकाली
- सिंधु जल संधि पर घुटने के बल आई शहबाज सरकार
- पाकिस्तान लगातार इस मसले को कर रहा था नजरअंदाज