पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यक हिन्दुओं के लिए पाकिस्तान से खुशखबरी आई है। पाकिस्तान मीडिया के अनुसार शनिवार को पाकिस्तान संसद ने बहुप्रतिक्षित हिंदू मैरिज बिल पारित कर दिया है। पाकिस्तानी संसद के उच्च सदन सीनेट में हिन्दू मैरिज एक्ट 2016 के पास हो जाने के बाद अब पाकिस्तान में हिन्दुओं की शादी के लिए कानून बन जाएगा।
पाकिस्तान में हिन्दू मैरिज एक्ट पर काफी लंबे समय से विवाद और चर्चा चल रही थी। इसके पहले पाकिस्तान में सीनेट कमेटी ने अल्पसंख्यक हिन्दुओं के लिए हिन्दू मैरिज एक्ट को मंजूरी दे दी थी। अब उच्च सदन ने भी मंजूरी देते हुए हिंदू मैरिज बिल को पारित कर दिया है। अब अगले हफ्ते इसे राष्ट्रपति की सहमति मिलने के बाद कानून बना दिया जाएगा। इसे 4 महीने पहले ही पाकिस्तान के नेशनल असेंबली ने इस बिल को मंजूरी दे दी थी।
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कैसा होगा कानून
पाकिस्तान में हिन्दू मैरिज एक्ट के लागू हो जाने के बाद कोई भी हिन्दू परिवार अपनी शादी को पंजीकृत करा पाएंगे और शादी में अलगाव होने पर इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका भी दायर कर पाएंगे।
- हिन्दू मैरिज एक्ट के लागू होने के बाद अगर कोई हिन्दू इस कानून को तोड़ता है तो उसे कोर्ट में बतौर सबूत अपनी शादी का शादीपत्र दिखाना होगा।
- ये ठीक वैसा ही है जैसा मुस्लिमों के लिए निकाहनामा दिखाना जरूरी होता है।
- इस बिल के तहत पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यक हिन्दुओं को पति या पत्नी की मौत हो जाने पर 6 महीने के बाद अपनी मर्जी से पुनर्विवाह करने का अधिकार भी मिलेगा।
- ये अधिकार उन्हें बिल के अनुच्छेद 17 के तहत मिलेगा।
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पाकिस्तान में हिन्दुओं की जनसंख्या
पाकिस्तान में हिन्दू अल्पसंख्यक में आते हैं। 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद से ही वहां रह रहे हिन्दुओं के लिए शादी से जुड़ा कोई कानून नहीं बना था। जिनकी जनसंख्या कुल आबादी की लगभग 2 प्रतिशत है। जिसमें हिन्दू जाति (1.6%) और अनुसूचित जाति के (0.25%) लोग रहते है।
सिंध प्रांत में नहीं लागू होगा बिल
ये बिल सिंध प्रांत को छोड़कर पूरे पाकिस्तान में लागू होगा। सिंध में ये बिल इसलिए लागू नहीं होगा क्योंकि सिंध प्रांत ने पिछले साल ही अपने राज्य में रह रहे हिन्दुओं के लिए एक अलग हिन्दु शादी कानून बना लिया था।
Source : News Nation Bureau