जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर दुनियाभर में अपनी किरकिरी करा चुके पाकिस्तान को अब एक और बड़ा झटका लगा है. अमेरिका के बाद अब संयुक्त राष्ट्र ने भी साफ-साफ कह दिया है कि कश्मीर का मुद्दा भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है और संयुक्त राष्ट्र इसमें मध्यस्थता नहीं करेगा. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि किसी तीसरे के दखल देने से अच्छा है कि दोनों देश आपस में बातचीत के जरिए ही इस समस्या का समाधान निकालें.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने कहा, कश्मीर में मानवाधिकारों का सम्मान होना चाहिए और भारत पाकिस्तान को बातचीत के जरिए कश्मीर की समस्या का समाधान निकालना चाहिए. इस पर किसी तीसरे पक्ष की कोई जरूरत नहीं है.
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हर जगह से फटकार सुन रहा है पाकिस्तान
बता दें, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही पाकिस्तान लगातार अतंरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की छवि खराब करने में जुटा हुआ है लेकिन हर बार उसे शिकस्त झेलनी पड़ रही है. अब तक इस मुद्दे पर पाकिस्तान को अमेरिका, रूस, फ्रांस और इजराइल जैसे देश जमकर लताड़ चुके हैं. वहीं अब बताया जा रहा है कि बुधवार को यूरोपीय यूनियन ने भी पाकिस्तान को फटकार लगाई और कहा कि आतंकी चांद से नहीं बल्कि पाकिस्तान से आते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पोलैंड ने यूरोपीय यूनियन की संसद में कहा, पाकिस्तान के आतंकी यूरोप में आतंकी हमले की योजना बना रहे हैं.
एक तरफ जहां कुछ देश पाकिस्तान को फटकार लगा रहे हैं तो वहीं कुछ देश उसे नसीहत देते भी नजर आ रहे हैं. हाल ही में सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे प्रभावशाली मुस्लिम देशों ने एक ओर पाकिस्तान को भारत के साथ बैकडोर डिप्लॉमसी चैनल ऐक्टिवेट करने की राय दी तो दूसरी ओर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से कहा कि वह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए तल्ख भाषा के इस्तेमाल पर लगाम लगाएं.
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पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक 3 सितंबर को सऊदी अरब के विदेश मंत्री आदिल अल जुबैर और संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बिन अल नाहयान इस्लामाबाद दौरे पर अपने नेतृत्व और कुछ अन्य शक्तिशाली देशों की ओर से संदेश लेकर आए थे. उन्होंने पाकिस्तान से कहा कि वह भारत के साथ अनौपचारिक बातचीत करे. एक दिवसीय यात्रा पर उन्होंने प्रधानमंत्री इमरान खान, विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से मुलाकात की.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बातचीत बेहद गोपनीय थी और विदेश मंत्रालय के केवल शीर्ष अधिकारियों को ही उन बैठकों में जाने दिया गया. रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब और यूएई के राजनयिकों ने यह इच्छा जताई है कि पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव कम करने के लिए वे भूमिका निभाना चाहते हैं. इनमें से एक प्रस्ताव दोनों देशों के बीच पर्दे के पीछे से बातचीत (बैकडोर डिप्लॉमसी) का भी था.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो