शांति की सतही बातें और दिखावा कर पाकिस्तान (Pakistan) भारत के खिलाफ लगातार साजिश कर रहा है. अब पता चला है कि कश्मीर और सियाचीन में भारत को मात देने के लिए पाकिस्तान ने मध्य एशियाई देश तजाकिस्तान (Tajikistan) पर डोरे डालने शुरू किए हैं. यही कारण है कि पाकिस्तान की दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचे तजाकिस्तान के राष्ट्रपति इमाम अली रहमान के स्वागत में इमरान खान (Imran Khan) ने कोई कसर नहीं छोड़ी. उनकी अगवानी करने के लिए इमरान के विशेष निर्देश पर पाकिस्तानी एयरफोर्स के जेफ-17 थंडर विमानों ने तजाकिस्तानी राष्ट्रपति के प्लेन को एस्कॉर्ट भी किया. बताते हैं कि इस्लामाबाद में इमरान खान और इमाम अली रहमान के बीच हुई बैठक में हथियारों की खरीद को लेकर बड़ा समझौता हुआ है.
किर्गिस्तान से सीमा विवाद के चलते तजाकिस्तान को चाहिए हथियार
जानकारी के मुताबिक इस समझौते के तहत पाकिस्तान आने वाले दिनों में तजाकिस्तान को लाखों डॉलर के स्वदेशी हथियारों की सप्लाई करेगा. इससे तजाकिस्तान की सैन्य ताकत में भी इजाफा होगा. पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार इस सौदे में अधिकतर छोटे हथियार शामिल हैं. गौरतलब है कि तजाकिस्तान का अपने पड़ोसी देश किर्गिस्तान के साथ सीमा विवाद चल रहा है. बीते एक महीने पहले ही दोनों देशों में जंग के हालात बन गए थे. इस झड़प के दौरान 50 से ज्यादा लोगों की मौत भी हुई थी. यही कारण है कि तजाकिस्तान को हथियारों की जरूरत हैं.
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पाकिस्तान-तजाकिस्तान की अपनी मजबूरी
वैसे अगर देखा जाए तो हालात के मारे दोनों देश एक-दूसरे की मजबूरी का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कंगाल होने की कगार पर आ पहुंची है. ऐसे में इमरान खान को लगता है कि वह अपने देश में बने जंगी हथियारों को बेंचकर देश को आर्थिक संकट से बाहर निकाल सकते हैं. वहीं तजाकिस्तान भी इतना धनी देश नहीं है कि वह अमेरिका, रूस या फ्रांस जैसे देशों से अत्याधुनिक हथियार खरीद सके. इन देशों से हथियार लेने के लिए तजाकिस्तान को तुरंत पैसा भी चुकाना होगा, वहीं पाकिस्तान के साथ ऐसी समस्या नहीं है.
भारत के एकमात्र विदेशी सैन्य अड्डे पर नापाक नजर
रणनीतिक तौर पर तजाकिस्तान को पाकिस्तान हर कीमत पर अपना दोस्त बनाना चाहता है. इसका एकमात्र कारण तजाकिस्तान का फर्कहोर हवाईअड्डा है. इसे 1996-97 से भारतीय वायु सेना संचालित करती आ रही है. बताते हैं किउस समय भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ इस एयरबेस का इस्तेमाल अफगानिस्तान के नॉर्दन अलायंस की सहायता करने के लिए करती थी. भारत ने यहां छोटा मिलिट्री हॉस्पिटल भी शुरू किया था, जिसे मैत्री हॉस्पिटल भी कहा जाता है. यहां तालिबान से लड़ाई में घायल अफगान नॉर्दन एलायंस के जवानों का इलाज किया जाता था. हालांकि वर्तमान में इस एयरबेस की स्थिति को लेकर कोई आम जानकारी उपलब्ध नहीं है.
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भारत के लिए सामरिक तौर पर अहम है तजाकिस्तान
तजाकिस्तान की सीमा भारत से सीधी तो नहीं जुड़ती, लेकिन यह अफगानिस्तान, पाकिस्तान और चीन का पड़ोसी होने के कारण इसकी अहमियत ज्यादा है. यहां से दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचीन पर कड़ी नजर रखी जा सकती है. भारत इसलिए भी तजाकिस्तान के फर्कहोर एयरबेस का इस्तेमाल करता है. भारत यहां से पाकिस्तान और चीन की हवाई हरकतों पर नजर भी रख सकता है.
HIGHLIGHTS
- तजाकिस्तान पर डोरे डाल रहा कंगाल पाकिस्तान
- इमरान खान ने की है छोटे हथियारों की डील
- भारत को काउंटर करने की चल रहा नापाक चाल