पाकिस्तान के पचास से अधिक उलेमा व धार्मिक संगठनों के नेताओं ने कोरोनावायरस (Corona Virus) महामारी के बीच पड़ रहे पवित्र इस्लामी महीने रमजान में सामूहिक नमाजों पर रोक नहीं लगाने की चेतावनी देकर सरकार के लिए एक नई चुनौती पेश कर दी है. कोविड -19 (COVID-19) महामारी के बीच पाकिस्तान में संघीय व प्रांतीय सरकारों ने मस्जिदों में सामूहिक नमाजों पर रोक लगाई हुई है. दुनिया के कई मुस्लिम बहुल देशों में ऐसी ही रोक लगी है और वहां इस पर अमल भी हो रहा है लेकिन पाकिस्तान में बीते हर जुमे पर सामूहिक नमाज को लेकर लोगों और पुलिस में झड़प की खबरें आई हैं.
रमजान के महीने में रात की नमाज के बाद पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज तरावीह को लेकर सऊदी अरब से इस आशय की खबरें आ चुकी हैं कि वहां कह दिया गया है कि यह नमाज भी इस बार कोरोना के कारण घर पर ही पढ़ी जाए. पाकिस्तान में सरकार अभी इस बारे में कुछ कहती, इससे पहले ही उलेमा की चेतावनी आ गई कि रमजान में तरावीह और अन्य सामूहिक नमाजों पर रोक सहन नहीं की जाएगी.
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'डॉन' की रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुए कहा गया है कि वफाकुल मदारिस अल अरबिया के उलेमा व विभिन्न मदरसों से संबद्ध राजनैतिक व गैरराजनैतिक सदस्यों ने इस्लामाबाद में एक बैठक की. लॉक डाउन (Lock Down) के नियमों का उल्लंघन कर बुलाई गई इस बैठक में कुल 53 उलेमा व अन्य लोग शामिल हुए. रिपोर्ट में कहा गया है कि बैठक में उन चरमपंथी संगठनों के लोगों ने भी खुलेआम हिस्सा लिया जिन पर देश में प्रतिबंध लगा हुआ है.
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जमीयते उलेमाए इस्लाम-फजल पार्टी के इस्लामाबाद प्रमुख पीर अजीजुररहमान हजारवी ने बैठक के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा, मस्जिदों को बंद करना, जुमे की नमाज और तरावीह पर रोक लगाना देशवासियों को अस्वीकार्य है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार से टकराव से बचने के लिए उलेमा सभी उपाय करेंगे. हजारवी ने कहा कि कोरोना की भयावह महामारी का यह समय इंसान के इम्तेहान का समय है. यह वह समय है जिसमें अधिक से अधिक प्रार्थनाएं कर ईश्वर से अपने गुनाहों के लिए माफी मांगनी चाहिए. यह वायरस को समाप्त करने की दुआ के साथ और अधिक नमाजें पढ़ने का समय है, इसलिए जुमे की नमाज भी पढ़ी जाएगी और तरावीह भी.
उन्होंने इसके साथ ही कहा कि सामूहिक नमाज पढ़ने के समय सुरक्षात्मक उपाय का ध्यान रखा जाएगा. इन उपायों में हैंड सैनेटाइजर का इस्तेमाल, कालीन व चटाई (जिस पर नमाज पढ़ी जाती है) को हटाना, फर्श को धुलना, हाथ को साबुन से धोना व सोशल डिस्टैंसिंग शामिल है. हालांकि, यह साफ नहीं है कि सैकड़ों नमाजी कंधे से कंधा मिलाकर जुमे जैसी नमाजें पढ़ते हैं तो ऐसे में सोशल डिस्टैंसिंग कैसे होगी. उलेमा की इस बैठक का ही एक वीडियो जारी हुआ है जिसमें लोग एक-दूसरे से बिलकुल सटकर बैठे देखे जा सकते हैं.