पाकिस्तान के केंद्रीय मंत्री ने भीड़ तंत्र के न्याय की निंदा की है. उन्होंने कहा कि भीड़ के न्याय को सही दिखाने के लिए धर्म को हथियार बनाया जा रहा है. यह निंदनीय है. दरअसल, पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्वात जिले में एक दिन पहले ईशनिंदा के कथित आरोपी की भीड़ ने मार डाला था. पाकिस्तानी अखबार के अनुसार, सत्तारूढ़ दल पीएमएल-एन नेता और केंद्रीय योजना मंत्री एहसान इकबाल ने शनिवार को संसद में बजट पर चर्चा के दौरान कहा कि भीड़ की इस हरकत पर संज्ञान लेना आवश्यक है. भीड़ तंत्र के न्याय ने पाकिस्तान को बर्बादी की कगार पर ला कर खड़ा कर दिया है.
पहले जानिए क्या है पूरा मामला
स्वात जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जहीदुल्लाह ने एक दिन पहले बताया था कि गुरुवार रात पंजाब प्रांत के सियालकोट जिले के एक युवक ने कथित तौर पर कुरान के कुछ पन्ने जलाए थे. युवक को इस आरोप में हिरासत में ले लिया गया और उसे मदयान पुलिस स्टेशन लाया गया.
अधिकारी ने बताया कि कुरान की बेअदबी से लोग बहुत गुस्से में थे. वे थाने के बाहर इकट्ठे हो गए. लोगों ने मांग की कि आरोपी को उन्हें सौंप दिया जाए. पुलिस ने ऐसा करने से मना कर दिया. इससे भीड़ भड़क गई. उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी. इसके बाद पुलिस ने मुंहतोड़ जवाब दिया. गोलबारी में एक युवक घायल हो गया. घायल को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. अधिकारी ने आगे बताया कि इसके बाद गुस्साई भीड़ ने थाने में आग लगा दी. इस बीच, कुछ लोग थाने में घुस गए और उन्होंने संदिग्ध को गोली मार दी. भीड़ ने बड़ी निर्दयता से आरोपी व्यक्ति के शव को घसीटकर मदयान अड्डे ले गए और वहां लटका दिया.
देश के कानून का खुलेआम उल्लंघन
उन्होंने कहा कि अगर इस तरह की घटनाएं होती रहीं तो हम कभी आगे नहीं बढ़ सकते हैं. उन्होंने साथ ही सियालकोट, जरांवाला और सरगोधा की घटनाओं का भी जिक्र किया. इन जगहों पर भी भीड़ ने ईशनिंदा के आरोपियों को मार डाला था. उन्होंने 2018 की घटना को भी याद किया, जब कट्टरपंथी तहरीक-ए-लब्बैक के समर्थन ने उन्हें गोली मार दी थी. इकबाल ने कहा कि मैं खुदा का शुक्रगुजार हूं कि मुझे नया जीवन मिला है. भीड़ देश के संविधान और कानून का खुलेआम उल्लंघन कर रही है.
इकबाल ने संसद में आगे कहा कि इस्लाम में विधर्मियों के शवों को भी सम्मान देने की पंरपरा है पर न सिर्फ लोगों को मार रही है बल्कि शवों को खुलेआम आग लगा रहे हैं और तमाशा बना रहे हैं. यह सच में बहुत शर्मनाक है. इकबाल ने मांग की कि लिंचिंग के मामलों की जांच के लिए एक समिति बनाना आवश्यक है. हालांकि, जब इकबाल ससंद में अपनी बात रख रहे थे तो पीपीपी के उपसभापति गुलाम मुस्तफा शाह ने उन्हें रोकने की खूब कोशिश की.
Source : News Nation Bureau