'कर्ज लेकर घी पीने' की रीति पर चलने वाला पाकिस्तान (Pakistan) अब कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए अपने सदाबहार दोस्त चीन (China) की मदद से कोविड वैक्सीन (Corona Vaccine) बनाने का ख्वाब देख रहा है. हर गुजरते दिन के साथ पाकिस्तान में कोरोना के रिकॉर्ड मामले सामने आ रहे हैं. देश को वैक्सीन की भारी किल्लत से कोविड-19 (COVID-19) संक्रमण को रोकने का कारगर रास्ता भी नहीं निकल पा रहा है. यही नहीं, गले तक कर्ज में डूबे पाकिस्तान के पास इतने पैसे नहीं है कि वह बाहरी मुल्कों से महंगे टीकों को खरीदकर अपनी अवाम को लगा सके. ऐसे में वह चीन से कोरोना वैक्सीन के उत्पादन की तकनीकी देने के लिए गिड़गिड़ा रहा है. यह अलग बात है कि यहां भी चीन अपने दोस्त को कोरोना टीके की तकनीक देने जा रहा है, उसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) तक ने मान्यता नहीं दी है.
एक खुराक वाला टीका बना रहा है पाकिस्तान
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पाकिस्तान अब चीन के सहयोग से एक खुराक वाले कोरोना वायरस टीके को विकसित करने का काम कर रहा है. पाकिस्तानी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) के एक्जिक्यूटिव डॉयरेक्टर मेजर जनरल आमिर इकराम ने नेशनल असेंबली की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं पर स्थायी समिति के सामने कहा कि हम कोविड-19 के लिए एक खुराक वाला टीका बनाने जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि हमने पाकिस्तान में चीनी कोविड-19 टीके कैनसाइनो बायो का क्लीनिकल परीक्षण किया है. इस वैक्सीन को पाकिस्तान ने फरवरी में आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी थी. इसके बाद उन्होंन मीडिया से कहा कि पाकिस्तान कैनसाइनो बायो टीके के क्लीनिकल परीक्षण में शिरकत करने वाले पहले देशों में शामिल था. पाकिस्तान ने चीन से इस टीके की तकनीक देने का अनुरोध किया है और टीके के लिए कच्चा माल इसी माह आने वाला है.
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चीन का तकनीकी दल पहुंचा पाकिस्तान
उन्होंने कहा कि हमें आशा है कि हम अप्रैल के आखिर तक टीके की उत्पादन के लिए कुछ कदम उठा पायेंगे. हमारी टीम इस कार्य को हाथ में लेने के तैयार है जबकि चीन का एक दल भी पाकिस्तान पहुंच चुका है. चीनी दल एनआईएच में हमारी टीम पर निगरानी रखेगा. संसदीय समिति के सामने इकराम ने कहा कि कुछ सालों पहले बंद हो गये एनआईएच संयंत्र को फिर चालू किया गया है और संयंत्र के तैयार हो जाने पर कोविड-19 टीके का विनिर्माण शुरू होगा.हालांकि यहां यह जानना भी कम रोचक नहीं होगा कि चीन के कैनसाइनो बायो टीके को अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मान्यता नहीं दी है. चीनी कंपनी ने फरवरी में दावा किया था कि उनकी वैक्सीन ने 65.7 फीसदी प्रभावकारिता दिखाई है. कंपनी ने यह भी दावा किया था कि उसकी वैक्सीन की गंभीर संक्रमण को रोकने में 90.98 फीसदी सफलता दर थी. पाकिस्तान ने खुद का डाटा जारी करते हुए बताया था कि उसके देश में हुए क्लिनिकल ट्रायल के दौरान यह वैक्सीन 74.8 फीसदी प्रभावी रही है.
HIGHLIGHTS
- चीन अब कोरोना का टीका बनाने में मदद करेगा पाकिस्तान की
- एक खुराक वाला टीका बनाने की दिशा में काम कर रहा पाकिस्तान
- इस टीके को विश्व स्वास्थ्य संगठन की मान्यता नहीं है