आतंकवाद की जड़ों की सींच रहे पाकिस्तान को करारा झटका लगा है. पाकिस्तान अभी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ग्रे लिस्ट (FATF Grey List) में बना रहेगा. इसके साथ ही पाक प्रधानमंत्री इमरान खान (Pakistan PM Imran Khan) की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं. पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट आतंक और आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई न करने की वजह से रखा गया है. रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान ने एक्शन प्लान के 34 में से 4 बिंदुओं पर कदम नहीं उठाए हैं. पाकिस्तान के साथ ही उसके करीबी देश तुर्की को भी FATF की ग्रे लिस्ट में जोड़ा गया है. एफएटीएफ के आकलन पाकिस्तान के लिए बहुत महत्व रखते हैं, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), यूएन और एग्मोस्ट ग्रुप ऑफ फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट्स सहित वित्तीय दाता भी पर्यवेक्षक संगठनों के रूप में एफएटीएफ बैठक का हिस्सा बनने जा रहे हैं.
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Pakistan remains under increased monitoring (grey list). Its govt has the 34-point action plan of which 30 items have been addressed: Financial Action Task Force pic.twitter.com/fSrAfPuZPX
— ANI (@ANI) October 21, 2021
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फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने कहा कि FATF अफगानिस्तान में मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के माहौल पर अपनी चिंता व्यक्त करता है। हम मांग करते हैं कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए योजना बनाने या उन्हें फंडिंग करने के लिए न किया जाए. पाकिस्तान लगातार निगरानी (ग्रे लिस्ट) में है। पाकिस्तान सरकार के पास 34-सूत्रीय कार्य योजना है जिसमें से 30 को संबोधित किया गया है. FATF सूची में तीन देशों को रखा गया है, जिनमें जॉर्डन, माली और तुर्की शामिल हैं. वे सभी FATF के साथ एक कार्य योजना पर सहमत हुए हैं. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के अध्यक्ष मार्कस प्लीयर ने कहा कि एफएटीएफ ने मॉरीशस और बोत्सवाना को ग्रे लिस्ट से हटाए जाने पर बधाई दी.
FATF congratulates Mauritius and Botswana for being removed from the grey list: Marcus Pleyer, President, Financial Action Task force pic.twitter.com/BToc6RLkbK
— ANI (@ANI) October 21, 2021
आपको बता दें कि एफएटीएफ का तीन दिवसीय सत्र 19 से 21 अक्टूबर तक आयोजित किया गया. जिसमें पाकिस्तान को एक बार फिर से ग्रे लिस्ट में ही जारी रखा गया है. जानकारी के लिए बता दें कि एफएटीएफ की अगली बैठक अब अप्रैल 2022 में आयोजित की जाएगी, तब तक पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बना रहेगा. देश की डूबती अर्थव्यवस्था आईएमएफ द्वारा वित्तीय खैरात पर चल रही है, जिसके परिणामस्वरूप बुनियादी उपयोगिताओं और पेट्रोलियम की कीमतों में भारी उछाल आया है, जिससे स्थानीय लोगों को देश के प्रमुख के रूप में खान की क्षमताओं और समझ पर सवाल उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
Source : News Nation Bureau