भारत और पाकिस्तान के बीच अटारी-वाघा सीमा पर यात्रियों का आवागमन रुकने और व्यापारिक गतिविधियां बंद होने से पाकिस्तानी कुली भुखमरी के शिकार हो गए हैं. पाकिस्तानी समाचार पत्र के मुताबिक, वाघा सीमा पर समझौता एक्सप्रेस, दोस्ती बस सेवा व पैदल सीमा पार करने वाले दोनों देशों के नागरिकों के आवागमन को रुके हुए एक महीने से अधिक हो चुका है. इसके अलावा वाघा सीमा पर ट्रेन और ट्रक के जरिए दोनों देशों के बीच होने वाला व्यापार भी ठप पड़ हुआ है.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि आवागमन और व्यापार रुकने के कारण वाघा सीमा पर काम करने वाले कुली भुखमरी का शिकार हो गए हैं. सीमा पर ट्रक पर सामान लादने और उतारने के काम में कुलियों की अच्छी कमाई हो जाती थी. लेकिन, अब वाघा रेलवे स्टेशन और जीरो लाइन पर वीरानी छाने से कुलियों के परिवारों को खाने के लाले पड़ गए हैं. सरकारी कर्मचारी और कुली सीमा के फिर से खुलने की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं.
रिपोर्ट में बताया गया है कि एक ठेकेदार ने कहा कि सीमा के पास के गांवों में रहने वाले कुलियों की यहां अच्छी कमाई हो जाती थी. जीरो लाइन से पार्किं ग एरिया तक सामान पहुंचाने पर तीन सौ रुपये मिलते थे. सीमा बंद होने के बाद इनके पास कोई काम नहीं है और कोई वैकल्पिक रोजगार भी नहीं है। कुली सुबह इस इलाके में आते हैं और शाम को मायूस घर लौट जाते हैं.
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गौरतलब है कि आवागमन और सीमा पर व्यापार पर प्रतिबंध लगाने की सभी पहल पाकिस्तान ने भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को रद्द करने के बाद की थी. अब इसका खामियाजा सबसे अधिक वहां के गरीब लोग ही भुगत रहे हैं.